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संविधान में नहीं कोई पद, फिर भी 14 राज्यों में तैनात हैं डिप्टी सीएम

संविधान के अनुच्छेद 163 और 164 में हैं मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल से जुड़े प्रावधान

नई दिल्ली। भाजपा ने पहले मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में दो उप मुख्यमंत्री नियुक्त किए थे। अब यही फॉर्मूला ओडिशा सरकार बनाने में भी दोहराया गया है। ओडिशा में मोहन माझी को मुख्यमंत्री बनाने के साथ ही केवी सिंह देव और प्रवती परिदा को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है। बिहार में नीतीश कुमार के साथ आने के बाद जब एनडीए की सरकार बनी तो इसमें भी दो डिप्टी सीएम भाजपा से बने थे। महाराष्ट्र में भी दो डिप्टी सीएम हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 163 और 164 में मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल से जुड़े प्रावधान हैं।

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 163(1) कहता है कि राज्यपाल को सलाह देने के लिए मुख्यमंत्री के नेतृत्व में एक मंत्रिमंडल होगा। संविधान में यह प्रावधान है कि मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करेंगे और मुख्यमंत्री की सलाह पर मंत्रिमंडल की नियुक्ति भी राज्यपाल करेंगे। हालांकि, इन दोनों अनुच्छेदों में डिप्टी सीएम पद का कहीं कोई जिक्र नहीं है। उप मुख्यमंत्री के पद को राज्य में कैबिनेट मंत्री के बराबर समझा जाता है। उप मुख्यमंत्री को भी वही सैलरी और सुविधाएं मिलती हैं जो एक कैबिनेट मंत्री को मिलती है।

बिहार में सिन्हा सबसे पहले बने थे डिप्टी सीएम

भारत का पहला डिप्टी सीएम अनुग्रह नारायण सिन्हा को माना जाता है। सिन्हा आजादी के बाद से जुलाई 1957 तक बिहार के डिप्टी सीएम रहे थे। उनके बाद 1967 में कर्पूरी ठाकुर बिहार के दूसरे डिप्टी सीएम थे। उत्तर प्रदेश में 1967 में जनसंघ के राम प्रकाश गुप्ता डिप्टी सीएम बने। मप्र में जनसंघ के नेता वीरेंद्र कुमार सकलेचा पहले डिप्टी सीएम थे।

डिप्टी पीएम का भी चलन

डिप्टी सीएम की तरह ही भारत में कई नेता डिप्टी पीएम भी रह चुके हैं। आजादी के बाद बनी पहली अंतरिम सरकार में सरदार वल्लभ भाई पटेल डिप्टी पीएम थे। उनके बाद मोरारजी देसाई, चरण सिंह, देवी लाल और लालकृष्ण आडवाणी भी डिप्टी पीएम बने। 1989 में वीपी सिंह की सरकार में देवी लाल जब डिप्टी पीएम बने तो इसे सुप्रीम कोर्ट में इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि उन्होंने संविधान के अनुरूप शपथ नहीं ली थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने देवी लाल की नियुक्ति को बरकरार रखा।

किसी कानून का उल्लंघन नहीं करता यह पद: चंद्रचूड़

इसी साल 12 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी सीएम की नियुक्ति पर फैसला सुनाया था। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा था कि डिप्टी सीएम का पद असंवैधानिक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में डिप्टी सीएम की नियुक्तियों को असंवैधानिक बताते हुए याचिका दायर की गई थी। ये याचिका पब्लिक पॉलिटिकल पार्टी ने दायर की थी और उसने सुप्रीम कोर्ट से डिप्टी सीएम की नियुक्ति पर रोक लगाने की मांग की थी। याचिका में दावा किया गया था कि संविधान में डिप्टी सीएम जैसा कोई पद नहीं है। ये संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन करता है। इस याचिका को खारिज करते हुए चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि डिप्टी सीएम का पद एक ओहदा है और इससे किसी संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन नहीं होता। उन्होंने कहा था कि डिप्टी सीएम बनने से कोई खास सुविधा या ज्यादा सैलरी नहीं मिलती है। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा था कि एक उप-मुख्यमंत्री राज्य सरकार में सबसे पहला और सबसे अहम मंत्री होता है। डिप्टी सीएम का ओहदा संविधान का उल्लंघन नहीं है।

इन राज्यों में नियुक्त हैं डिप्टी

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