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मप्र में 25 लाख पेंशनर्स ऐसे , जिन्हें रोजाना 20 रुपए से भी कम पेंशन

सांसदों-पूर्व सांसदों के वेतन-भत्ते और पेंशन बढ़ने के बाद अब निराश्रित, वृद्ध और विधवा महिलाओं को केंद्र सरकार से आस, 13 साल से पेंशन बढ़ने का इंतजार

मनीष दीक्षित-भोपाल। सात साल बाद बीते सोमवार को केंद्र सरकार ने सांसदों के वेतन- भत्ते और पूर्व सांसदों की पेंशन बढ़ाने का निर्णय लिया है। सांसदों को अब हर महीने 1 लाख के बजाय 1.24 लाख वेतन मिलेगा। इसी तरह दैनिक भत्ता भी 2 हजार से बढ़ाकर 2500 रुपए कर दिया गया है। इधर, देशभर के 3 करोड़ से अधिक वृद्ध, निराश्रित, विधवा महिलाएं और लाखों दिव्यांग 13 वर्षों से अपनी पेंशन बढ़ने की बाट जोह रहे हैं। मप्र में इनको मिलने वाली पेंशन की राशि मात्र 600 रुपए प्रतिमाह है।

यह इतनी ही राशि है, जिससे एक बुजुर्ग महीने भर सिर्फ दो समय चाय पी सकें। जानकारी के अनुसार, मप्र में इस समय करीब 25 लाख वृद्ध, निराश्रित, विधवा महिलाएं और दिव्यांग ऐसे हैं, जिन्हें प्रतिदिन 20 रुपए से कम (600 रुपए मासिक) मिलता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि केंद्र से मिलने वाली पेंशन की धनराशि में राज्य सरकार अपनी तरफ से मात्र 300 रुपए अंशदान मिलाती है, जबकि कई राज्यों में सरकारें 1500 से 2000 रुपए तक का अंशदान दे रही हैं। देश में सरकार, गरीबी रेखा से नीचे वाले लोगों को राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रमों के तहत विभिन्न पेंशन देती है।

‘600 रुपए में गुजारा असंभव’

निराश्रित पेंशन भोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव का कहना है कि बढ़ती मंहगाई के इस दौर में 600 रुपए में गुजारा करना असंभव है। मप्र में बुजुर्गों, विधवाओं, विकलांगों आदि को दी जाने वाली पेंशन बहुत कम है। वृद्धावस्था, विधवा, निराश्रित या अन्य पेंशन पाने वालों में एक बड़ा वर्ग उनका भी है जो काम-धंधा नहीं कर सकते।

मैं केंद्र और राज्य सरकार से तत्काल पेंशन बढ़ाने की मांग करती हूं। सबका वेतन, भत्ता या अन्य सुविधाएं महंगाई के अनुसार बढ़ती हैं, पता नहीं किसी का ध्यान हमारी तरफ क्यों नहीं जाता है। हमें किसी का वेतन या पेंशन बढ़ने से कोई दिक्कत नहीं है। हमें मिलने वाली पेंशन इतनी कर दी जाए, जिसमें हमारा गुजारा हो सके। -शकुंतला बाई, पेंशनधारी, गैस राहत कॉलोनी , भोपाल

पेंशन में वृद्धि के लिए मामला वित्त विभाग में लंबित है। मुख्यमंत्री से भी इस मामले में लगातार चर्चा की गई है। मप्र के साथ अन्य राज्यों में भी राशि अभी कम है। – नारायण सिंह कुशवाह, मंत्री सामाजिक न्याय

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