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भगत सिंह के इंकलाब से गूंजा थिएटर, साल1930 की घटनाओं का हुआ मंचन

सात दिवसीय जनयोद्धा राष्ट्रीय नाट्य समारोह का हुआ समापन

 स्वराज संस्थान संचालनालय द्वारा आयोजित जनयोद्धा राष्ट्रीय नाट्य समारोह के समापन अवसर पर शहीद भवन में भगत सिंह के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर केंद्रित नाटक इंकलाबी बेटा भगत सिंह मंचित हुआ। भगत सिंह द्वारा जेल में लिखित नोटबुक एवं उनके दो लेखों पर आधारित नाटक भगत सिंह को फांसी लगने के छह माह पूर्व के जीवन को दर्शाता है। असेंबली बम कांड में कोर्ट द्वारा उम्र कैद के सजा मिलने के बाद लाहौर जेल के अपने आखिरी दिनों में भगत सिंह की मुलाकात क्रांतिकारी रणधीर सिंह से होती है। यह मुलाकात रोचक रूप ले लेती है और भगत सिंह अपने को सामने रखकर अपनी बीती और बची हुई जिंदगी के बारे में लेखा-जोखा करते हैं। नाटक में साल 1930 में घटित हो रहे हिंदुस्तान की जंगेआजादी की घटनाओं को बड़ी ही खूबसूरती से दिखाया गया। कलाकारों ने भगत सिंह के जीवन से जुड़े अपरिचित एवं महत्वपूर्ण घटनाओं का प्रदर्शन कर दर्शकों का मनोरंजन किया।

मंच पर 10 से अधिक कलाकारों ने दी प्रस्तुति

डॉ. चरणदास सिद्धू लिखित एवं रवि तनेजा की परिकल्पना-निर्देशन में कोलेजिएट ड्रामा सोसायटी दिल्ली के 10 से अधिक कलाकारों ने अभिनय किया। मंच पर भगतसिंह के रूप में रियांश, रणधीर सिंह का किरदार निभा रहे अंशु डोगरा, तेजा सिंह बने दीपचंद एवं अन्य भूमिकाओं में मदन डोगरा, इमरान खान, अकबर खान का अभिनय सराहनीय रहा। मेकअप मैन जतिन, वेशभूषा डालचंद, वीना सिद्धू तनेजा, सलोनी का संगीत, राघव की प्रकाश व्यवस्था एवं प्रबल की मंच परिकल्पना ने नाटक को रोचकता प्रदान की।

सभी पक्षों में रही भगत सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका

इस नाटक में हमें यह देखने को मिला कि भगत सिंह एक ऐसे क्रांतिकारी थे, जिनकी भारतीय समाज में सामाजिक, राजनैतिक, धार्मिक सभी पक्षों में महत्वपूर्ण भूमिका रही। उनकी देशक्ति को देखकर उन्हें नमन करता हूं। – यथार्थ शर्मा, दर्शक

हिंदुस्तान को जगाने का उन्होंने किया प्रयास

संगीत रूपी यह प्रस्तुति भगत सिंह एवं उन क्रांतिकारियों के लिए विनम्र श्रद्धांजलि है, जिन्होंने अपने इंकलाबी विचारों से हिंदुस्तान को जगाने का प्रयास किया है। युवाओं के लिए वे प्रेरणा बने। – यश मालवीय, दर्शक

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