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EWS आरक्षण को लेकर छात्र ने खुद लड़ा केस, दलील सुनकर जज साहब भी हैरान, कहा- तुम्हें तो वकील होना चाहिए

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि अगले शैक्षणिक सत्र से प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (EWS) के लिए सीटों की संख्या बढ़ाई जाए। मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायाधीश विवेक जैन की पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार ने 2019 में EWS आरक्षण को लागू करने की समयसीमा तय की थी। इसके बावजूद राज्य में प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में इस पर अमल नहीं हुआ है।

याचिकाकर्ता ने दी दलीलें

जबलपुर निवासी 19 वर्षीय छात्र अथर्व चतुर्वेदी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में EWS आरक्षण लागू न होने पर सवाल उठाया था। अथर्व ने बताया कि उसने नीट परीक्षा में 530 अंक हासिल किए थे, लेकिन प्राइवेट कॉलेजों में कम अंक पाने वाले एनआरआई और अन्य कोटे के छात्रों को सीटें मिल गईं। याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार की उस अधिसूचना को चुनौती दी, जिसमें EWS के लिए कोई आरक्षित सीटें निर्धारित नहीं की गई थीं।

सरकार की दलीलें खारिज

राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि नीट परीक्षा की शुरुआत से ही याचिकाकर्ता को नियमों की जानकारी थी और प्रवेश प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, इसलिए अब नियमों में बदलाव संभव नहीं है। सरकार ने यह भी कहा कि नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) की ओर से प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में सीटें बढ़ाने या EWS के लिए आरक्षण लागू करने के निर्देश नहीं थे। हालांकि, अदालत ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि केंद्र सरकार की 2019 की अधिसूचना के बावजूद राज्य सरकार ने आरक्षण लागू करने में देरी की।

छात्र की प्रस्तुति को सराहा

मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत ने याचिकाकर्ता अथर्व चतुर्वेदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह सिर्फ 19 साल का है, फिर भी उसने अदालत में खुद अपना पक्ष प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया। छात्र ने आरक्षण नीति, संवैधानिक प्रावधान और कानून की बारीकियों को बेहतर तरीके से समझाते हुए दलीलें दीं। न्यायालय ने इसे सराहनीय प्रयास बताया। उन्होंने छात्र की तारीफ में कहा कि तुम्हें तो वकील होना चाहिए।

2019 में लागू हुआ था EWS आरक्षण

केंद्र सरकार ने 2019 में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को 10% आरक्षण देने का प्रावधान किया था। सरकारी मेडिकल कॉलेजों में यह आरक्षण लागू है, लेकिन प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में इसे अब तक लागू नहीं किया गया। अदालत ने कहा कि यह केंद्र की अधिसूचना का उल्लंघन है और इसे शीघ्रता से लागू करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।

अगले सत्र से होगी व्यवस्था

अदालत ने निर्देश दिए हैं कि राज्य सरकार आगामी शैक्षणिक सत्र से प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में EWS के लिए सीटें आरक्षित करने की व्यवस्था सुनिश्चित करे। साथ ही इस मामले में संबंधित अधिकारियों को नेशनल मेडिकल कमीशन के साथ समन्वय स्थापित करने के भी आदेश दिए।

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