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अतिक्रमण और पेड़ों की कटाई के कारण सिकुड़ता जा रहा भोज वेटलैंड का दायरा

वर्ल्ड नेचर कंजर्वेशन डे : भोज वेटलैंड में 150 से अधिक प्रजाति के 50 हजार से अधिक पक्षियों का डेरा

अनुज मीणा- प्रदेश की राजधानी भोपाल में कुदरत की कुछ खूबसूरत कलाकृतियों देखने को मिलती हैं। यहां पर मौजूद बड़ी और छोटी झील के कारण इसे झीलों के शहर के नाम से भी जाना जाता है। शहर में बड़ा और छोटा तालाब मिलकर भोज वेटलैंड बना है। यह चुनिंदा रामसर स्थलों में से एक तो है ही, इसके साथ ही पर्यटन की दृष्टि से भी यह एक बेहतरीन स्थान है। झीलों और हरियाली की अधिकता होने के कारण भोपाल में 5-10 नहीं बल्कि 150 से अधिक प्रजातियों के 50 हजार से अधिक प्रवासी और देशी पक्षी देखने को मिलते हैं और इन पक्षियों के अलावा भी यहां देखने के लिए बहुत कुछ है।

यही कारण है कि यहां हर वर्ष यूरोप, आयरलैंड, ब्रिटेन और चीन समेत अन्य देशों से प्रवासी पक्षी आते हैं। देश में जितने भी रामसर वेटलैंड्स हैं, उनमें से सबसे आसानी से पहुंच सकने वाली आद्रभूमियों में भोज वेटलैंड शामिल हैं।

कछुआ

भोज वेटलैंड में इन प्रजातियों के पक्षी

लार्ज कामोर्रेंट, साइबेरियन स्टोन चैट, कॉमन शिफचैफ, गल, ब्लैक हेडेड गल, पर्पल हेरान, यूरेशियन कूट, स्पॉट बिल्ड डक, लेसर व्हिसलिंग डक, यूरेशियन राइनेक, ग्रे लेग्ड गूज बर्ड्स, ब्लैक हेडेड आइबिस, ग्रे हेडेड स्वैम्पहेन, रेड स्टार्ट, कॉमन स्निप जैसे पक्षियों शामिल हैं। इसके साथ ही रेड नेप्ड आइबिस, नार्दर्न शावेलर, कॉमन टील, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, कॉमन पोचार्ड, लेसर व्हाइट थ्रोट, ग्रीन सैंडपाइपर, पेंटेड स्टार्क, रेड नेप्ड आइबिस, ब्लैक हेडेड बंटिंग जैसी अनेकों प्रजातियों के पक्षी देखने को मिलेंगे। सिर्फ पक्षियों ही नहीं बल्कि यह वेटलैंड अन्य कई पौधों जैसे मैक्रोफाइट्स, फाइटोप्लांकटन व अनेक जीवों, मछली की अनेक प्रजातियों के लिए जानी जाती है।

लंगूर

वेटलैंड एरिया में किए जा रहे अवैध कब्जे

वेटलैंड एरिया में विजिट करने के लिए जाने वाले लोगों की माने तो झील के आसपास वेटलैंड एरिया में लगातार अवैध कब्जे कर घरों का निर्माण किया जा रहा है। साथ ही ग्रामीणों द्वारा वेटलैंड एरिया में खेती भी की जा रहा है। इससे वेटलैंड का एरिया सिकुड़ता जा रहा है। पक्षियों के प्राकृतिक आवास खत्म हो रहे हैं।

ग्रे हेडेड स्वैम्पहेन

अतिक्रमण न करने के लिए लोगों को कर रहे जागरूक

वेटलैंड एरिया में सभी तरह के जानवर और पक्षी देखने को मिलते हैं। पिछले कुछ वर्षों से वेटलैंड का एरिया सिकुड़ता जा रहा है। इसकी वजह वेटलैंड एरिया में लगातार घरों की संख्या और खेती के क्षेत्र में बढ़ोतरी होना है। हम वेटलैंड क्षेत्र के गांवों के लोगों को वेटलैंड में अतिक्रमण न करने के लिए जागरूक कर रहे हैं। – मो. खालिक, संस्थापक, भोपाल बर्ड्स

नीम, पीपल जैसे पौधे लगाएं, ताकि पक्षी बना सकें घोंसला

भोज वेटलैंड एरिया में विभिन्न प्रजातियों के पक्षी डेरा डाले हुए हैं, लेकिन यहां पर गुलमोहर, यूकेलिप्टस जैसे विदेशी पौधे लगाए जा रहे हैं, जिन पर पक्षी घोंसला नहीं बना पाते। यहां नीम, पीपल जैसे देशी पौधे लगाए जाने चाहिए, ताकि पक्षी इन पर अपना घर बना सकें। – मीता आठवले, वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर

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