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वेस्टर्न बायपास रोड से खतरे में आ गए 11वीं सदी के शिव मंदिर के अवशेष और बावड़ियां

मंडीदीप से फंदा जोड़ तक 42 किमी लंबी सड़क है प्रस्तावित

भोपाल। मंडीदीप के इटायाकलां से फंदा जोड़ तक प्रस्तावित 42 किमी लंबे वेस्टर्न बायपास रोड से प्राचीन महत्व के तीन संरक्षित स्मारक संकट में है। इनमें समसगढ़ में जैन मंदिर के पास 11 वीं और 12 वीं सदी के परमारकालीन शिव मंदिर के अवशेष के अलावा दो बावड़ियां हैं। 25 जनवरी 2013 को गजट नोटिफिकेशन के अनुसार, राज्य शासन ने इन्हें संरक्षित स्मारक घोषित किया है। यह राज्य संरक्षित स्मारकों की सूची में 354वें नंबर पर हैं। इन स्मारकों के 200 मीटर के दायरे में किसी प्रकार का निर्माण और खनन प्रतिबंधित है। लेकिन मप्र सड़क विकास निगम (एमपीआरडीसी) इन प्राचीन धरोहरों के ऊपर से ही बायपास निकालने की तैयारी में है। इससे इन स्मारकों का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा। दिलचस्प यह है कि पीपुल्स समाचार द्वारा संज्ञान में लाने से पहले तक एमपीआरडीसी को इन स्मारकों और आर्कियोलॉजी डिपार्टमेंट के आला अधिकारियों को वहां से सड़क गुजरने की जानकारी तक नहीं थी। अब दोनों विभाग इन धरोहरों को बचाने में जुट गए हैं। स्टेट आर्कियोलॉजी डिपार्टमेंट ने इन प्राचीन स्मारकों की फेसिंग कर रखी है और दो बोर्ड भी लगा रखे हैं। एमपीआरडीसी ने इन प्राचीन धरोहरों के पास बायपास निर्माण के सर्वे के खंभे लगा रखे हैं। गूगल अर्थ पर एमपीआरडी द्वारा प्रस्तावित बायपास रोड के चेनेज की आर -3 की रिपोर्ट में तीनों धरोहर बायपास के दायरे में दिखाई गई हैं। हालांकि एमपीआरडीसी के अधिकारी दावा करते हैं कि बायपास के दायरे में सिर्फ एक बावड़ी आ रही है, जबकि शिवमंदिर के अवशेष और एक अन्य बावड़ी बायपास के अतिरिक्त अधिग्रहित जमीन में आ रहे हैं।

जारी है 21 गांवों की जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया

इस बायपास की लागत करीब 3 हजार करोड़ है। रोड के निर्माण पर 1,323 करोड़ खर्च होंगे। पीएनसी इंफ्राटेक कंपनी को 1,174 करोड़ रुपए को ठेका दिया गया है। बायपास के लिए रायसेन जिले के 4 और भोपाल के 21 गांवों के किसानों की 600 एकड़ जमीन के अधिग्रहण की कार्रवाई जारी है।

तीनों विरासतों को पूरी तरह संरक्षित रखेंगे

शिव मंदिर के अवशेष व दोनों बावड़ियां संरक्षित और सुरक्षित की जाएंगी। प्रस्तावित बायपास से इन धरोहरों को नुकसान नहीं होने देंगे। मामला संज्ञान में आने पर जीएम स्तर के एक अधिकारी को तत्काल मौके पर भेजकर वस्तु स्थिति का पता लगवाया। एक बावड़ी रोड के दायरे में आ रही है, जबकि शिवमंदिर के अवशेष और एक अन्य बावड़ी सर्वे निशान से दूर है। इन स्मारकों पर कोई असर न पड़े इसके लिए हम वहां के प्लान में मामूली बदलाव करेंगे। संरक्षित स्मारकों के आसपास की अतिरिक्त जमीन आवश्यकतानुसार अधिग्रहित कर मार्ग का निर्माण कराया जाएगा। – अविनाश लवानिया, एमडी, एमपीआरडीसी

तीनों धरोहरों के पास से वेस्टर्न बायपास रोड निकाले जाने के बारे में एमपीआरडीसी ने पहले हमें जानकारी नहीं दी। 3 दिन पहले संपर्क किया गया है। जल्द संयुक्त दौरा कर मामले का हल निकालने का प्रयास करेंगे। – डॉ. रमेश यादव, आर्कियोलॉजिकल आॅफिसर, स्टेट आर्कियोलॉजी डिपार्टमेंट

वेस्टर्न बायपास रोड के कारण तीनों प्राचीन धरोहर खतरे में आ गई हैं। हमारे तो बाप-दादा सालों से इस गांव में रहते आए हैं, आज तक किसी ने इन स्मारकों को छेड़ने की कोशिश नहीं की। सरकार से मांग है कि इसे संरक्षित और सुरक्षित रखा जाए। – प्रकाश मालवीय, स्थानीय निवासी, समसगढ़

आज जिन प्राचीन धरोहरों को संरक्षित करने की जरूरत है, उन्हें नजरअंदाज कर वहां से बायपास रोड निकाला जा रहा है। इसकी शिकायत प्रमुख सचिव से करेंगे। इधर, पुरातत्व विभाग ने केवल फेसिंग बनाकर छोड़ दी है। इससे पहले चंदनपुरा में बावड़ी को पूरने की कोशिश की गई थी, लेकिन हमारे प्रयासों से वन विभाग द्वारा संरक्षित किया जा रहा है। समसगढ़ में इन तीनों धरोहरों के अलावा बहुत सारी प्राचीन धरोहर हैं, इन्हें भी संरक्षित किया जाना चाहिए। – राशिद नूर, एनजीटी याचिकाकर्ता, भोपाल

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