
भोपाल। भोपाल के 38 साल के सतीश कॉन्ट्रैक्टर हैं। साइट पर लंबे समय तक खडे रहते थे। लंबी-लंबी ड्राइव और गलत पोश्चर से उन्हें कमर दर्द शुरू हो गया। धीरे-धीरे यह स्लिप डिस्क में बदल गया। रीढ़ की हड्डी की डिस्क अपनी जगह से खिसक गई थी। कुछ महीनों में हालात यह हो गए कि चलने-फिरने से मोहताज हो गए। हड्डी रोग विशेषज्ञ से संपर्क किया, तो बताया गया कि ऑपरेशन के बिना खड़े भी नहीं हो पाएंगे। करीब छह महीने में दो ऑपरेशन भी हुए, पर सुधार नहीं हुआ। बाद में फिजियोथैरेपी विशेषज्ञ से संपर्क किया। सतीश ने बताया कि 15 दिन में ही मैं बिस्तर से खड़ा होने लगा और तीन महीने बाद वापस साइट पर काम करने लगा।
दरअसल, प्लास्टिक सर्जरी समेत अन्य सर्जरी के बाद भी फिजियोथैरेपी चिकित्सा का महत्वपूर्ण योगदान होता है, जिससे मरीज के जोड़ मांसपेशियों को पुन: सक्रिय किया जाता है। वहीं हड्डी, गर्भावस्था से जुड़े गंभीर मामले जिनमें डॉक्टर सिर्फ ऑपरेशन की सलाह देते हैं, वे भी फिजियोथैरेपी से ठीक हुए हैं। बावजूद सरकारी अस्पतालों में फिजियोथैरेपी विशेषज्ञों की भारी कमी है। हमीदिया अस्पताल में भी सिर्फ एक ही फिजियोथैरेपिस्ट है, जो हर दिन बमुश्किल 20 मरीजों को ही देख पाते हैं। यहां रोजाना 150 मरीजों को इसकी जरूरत होती है।
फिजियोथैरेपी ने प्रत्यारोपण को टाला
भोपाल के ही अवधेश मिश्रा ने 2014 में घुटने में दर्द के बाद एमआरआई कराया तो पता चला कि ऑर्थराइटिस के चलते घुटने के जोड़ घिस गए हैं। डॉक्टर ने उन्हें नी रिप्लेसमेंट की सलाह दी। ऑपरेशन से पहले उन्होंने फिजियोथेरैपिस्ट की सेवाएं लीं। करीब 10 महीने तक फिजियोथैरेपी के बाद उन्हें आराम मिलने लगा। उन्होेंने बताया कि अब वह बिना किसी परेशानी के व्यायाम, रनिंग और सारे काम कर रहे हैं।
अब भी डॉक्टर नहीं समझा जाता
फिजियोथैरेपिस्ट डॉ. सुनील पांडे बताते हैं कि फिजियोथैरेपी के फायदे सभी जानते हैं, लेकिन डॉक्टर्स और विभाग इसे मानने को तैयार नहीं हैं। अस्पतालों में भी फिजियोथैरेपिस्ट की कमी है। डॉक्टर भी अगर कोई केस भेजता है, तो वह पर्टीकुलर एक्सरसाइज लिखकर भेजते हैं जो कि गलत है। सरकार को भी फिजियोथैरेपी को अलग थैरेपी के रूप में अपनाना चाहिए।
आईसीयू में हर 4 घंटे में चेस्ट फिजियोथैरेपी जरूरी
वरिष्ठ फिजियोथैरेपिस्ट डॉ. तपस्या तोमर बताती हैं कि आईसीयू में मरीजों की हर 4 घंटे में चेस्ट फिजियोथैरेपी होनी चाहिए। इससे मरीजों को काफी राहत मिलती है। किसी तरह की चोट, पुरानी बीमारी, शारीरिक अक्षमता, शारीरिक गतिविधि में सुधार लाने, शारीरिक दर्द, मांसपेशियों की ऐंठन, जोड़ों के दर्द से राहत के लिए फिजियोथैरेपी की जा सकती है।