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ब.व.कारंत के लिखे और सुरबद्ध गीतों को गाकर शिष्यों ने दी उन्हें आदरांजलि

शहीद भवन में रंगकर्मी ब.व. कारंत की स्मृति में रंग-संगीत व नाट्य प्रस्तुति से सजी शाम

शहीद भवन में रविवार को कोशिश नाट्य संस्था के तत्वावधान में श्री ब.व. कारंत स्मृति नाट्य समारोह का शुभारंभ हुआ। दो दिवसीय इस आयोजन की शुरुआत रंग- संगीत और नाटक ‘अनाम रिश्ते’ से हुई। इस मौके पर ब.व. कारंत के शिष्य रहे रंगकर्मियों ने उन्हें अपने अभिनय के माध्यम से श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम में पहली प्रस्तुति मुंबई से आए कलाकार आमोद भट्ट, शुभाश्री भट्ट एवं रंगमंडल के सभी कलाकारों ने ब.व. कारंत के अलग-अलग नाटकों के गीत गाकर की। आदरांजलि कार्यक्रम में ब.व. कारंत को उनके अलग-अलग नाटकों के गीतों को गाकर श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम में सात गानों की प्रस्तुति दी गई। इसमें नाटक स्कंदगुप्त के गाने हे वतन…, नाटक अंधा युग के गाने तुम जो हो शब्द ब्रह्म अर्थों के परम अर्थ …, जैसे आदि की प्रस्तुति दी गई। गायकों ने यह गीत लाइव म्यूजिक पर गाए। इन गानों की धुन और लय ब.व. कारंत ने बनाई थी। इसके बाद नाटक अनाम रिश्ते का मंचन किया गया।

नाटक अनाम रिश्ते ने किया भावुक

नाटक अनाम रिश्ते की शुरुआत ऐसे होती हैं कि एक डॉक्टर अपनी पत्नी को रोज मारता है। एक दिन अति हो जाती है, मां-बेटी घर छोड़कर आत्महत्या करने चली जाती है, जहां एक अनजान आदमी उनको बचाता है। अपने घर में शरण देता है। नाटक के अंत में जब उस लड़की को सच का पता चलता है और वह बीमार पड़ जाती है, उसकी जान बचाने के लिए वह ट्रक ड्रायवर अपना सब कुछ बेचकर उसकी जान बचा लेता है। इस नाटक को कलाकारों ने कुछ इस तरह दर्शाया कि अनाम रिश्ते की गहराई दिखाई दी।

45 साल में 700 नाटकों में किया अभिनय

नाटक अनाम रिश्ते की प्रैक्टिस डेढ़ महीने से कर रहे थे। इस नाटक में कादम्बरी का किरदार निभाया। मैं पिछले 45 साल से करीब 700 नाटकों में अभिनय कर चुकी हूं। इसके अलावा बॉलीवुड मूवीज की शूटिंग भी चल रही हैं। -स्वास्तिका चक्रवर्ती, कलाकार

ब.व. कारंत के शिष्य रहे हैं तो उनको दी श्रद्धांजलि

हम सब ब.व. कारंतजी के शिष्य हैं। उनसे हमने बहुत कुछ सीखा है। मेरे निर्देशन में नाटक अनाम रिश्ते का मंचन किया गया। यह मूल रूप से बांग्ला नाटक था, जिसका लेखन चंदन सेन ने और अनुवाद परिमल भट्टाचार्य ने किया। -सरोज शर्मा, निर्देशक

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