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गोद लेने वाले अभिभावक के हाथों में खुद बच्चे को सौंपते हैं कलेक्टर

नवाचार: नई गाइड लाइन आने के बाद सतना में सबसे ज्यादा 18 दत्तक ग्रहण के आदेश हुए जारी, प्रदेश में पहले नंबर पर जिला

भोपाल। अनाथ बच्चों को गोद लेने के मामले में मप्र, जहां देश में 9वें स्थान पर है, वहीं दत्तक ग्रहण आदेश जारी करने में सतना जिला प्रदेश में सबसे आगे है। यहां के कलेक्टर अनुराग वर्मा किसी सुनवाई के लिए गोद लेने वाले इच्छुक अभिभावकों को जिला मजिस्ट्रेट न्यायालय में नहीं बुलाते हैं बल्कि खुद ही संबंधित संस्था पहुंचकर गोद लेने की जटिल कार्रवाई पूरी करते हैं और आदेश जारी होते ही अभिभावकों की गोद भरते हैं। ऐसा इसलिए भी संभव हुआ है कि केंद्र सरकार ने पिछले साल दत्तक ग्रहण आदेश जारी करने की प्रक्रिया सरल करते हुए जिला मजिस्ट्रेट को पॉवर दिए। कलेक्टर ने 1 साल में 18 दत्तक ग्रहण आदेश जारी कर प्रदेश में पहले नम्बर का दावा किया है।

पिछले साल केंद्र सरकार ने दिए थे आदेश

केंद्र सरकार ने पिछले साल 1 सितंबर 2022 को दत्तक ग्रहण के आदेश जारी कर नई गाइड लाइन जारी की है। पहले आदेश कोर्ट देता था पर अब ये अधिकार कलेक्टर को दिए हैं। 16 बच्चे देश में रहेंगे और दो बच्चे विदेश में पलेंगे-बढ़ेंगे।

यह है गोद लेने की प्रक्रिया

दत्तक ग्रहण ऐसी प्रक्रिया है जिसमें लावारिस और अनाथ बच्चों को कानूनी रूप से दूसरे दंपती को गोद दिया जाता है। विधिक रूप से स्वतंत्र घोषित किए गए निराश्रित, बेसहारा एवं अभ्यर्पित बालकों को दत्तक ग्रहण में दिया जाता है। प्रदेश में 38 विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी संचालित हैं।

गोद लेने वाले अभिभावक बड़ी उम्मीद से आते हैं इसलिए दत्तक ग्रहण की कार्रवाई पूरी करने के लिए वे स्वयं संबंधित संस्था में पहुंचकर पूरी बात करते हैं। जब विश्वास होता है कि अभिभावक बच्चे के लिए आतुर हैं तब उनके हाथों में बच्चे को स्वयं सौंपता हूं। अभिभावकों से एक वचन लेते हैं कि बच्चे को अनाथ नहीं समझा जाए। -अनुराग वर्मा, कलेक्टर सतना

(इनपुट-पुष्पेंद्र सिंह)

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