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कमलापति महल की शोभा बढ़ा रही गौस मोहम्मद की बनाई तोप

सन् 1763 में बनी थी कड़क बिजली तोप, पर्यटकों के लिए बनी आकर्षण का केंद्र

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की फौज में तोप चलाने वाले खास तोपची रहे गौस मोहम्मद खान द्वारा बनाई गई तोप रानी कमलापति महल के सामने रखी है। इस तोप का नाम था कड़क बिजली। इतिहासकार बताते हैं कि नाम के पीछे कारण ये है कि जब तोप चलती थी तो लगता था कि आसमान से बिजली कड़की हो, इसलिए इसका नाम कड़क बिजली था। 1974 में जब किलोल पार्क बना तो इस पार्क में कड़क बिजली तोप को लोगों के अवलोकन के लिए रखा गया था। लंबे समय तक ये पार्क में रखी रही। इसके बाद पार्क के रिनोवेशन के चलते तोप को पुरातत्व विभाग के अधीन रानी कमलापति महल परिसर के सामने रखा दिया गया, जिसको देखने के लिए देश-विदेश से सैलानी यहां अक्सर आया करते हैं। इसके अलावा महल के अंदर भवन में एक छोटी तोप भी दर्शकों के लिए प्रदर्शित की गई है। कमलापति महल प्रभारी विजय शर्मा ने बताया कि यह एक बेहद खास तोप है, जिसका संरक्षण अब पुरातत्व विभाग कर रहा है। इसे अक्सर लोग इसे देखने आते हैं।

सन् 1763 में हुआ था तोप का निर्माण

रायसेन के किले पर स्थित एक तोप पर उत्कीर्ण अभिलेख से ज्ञात होता है कि यह तोप भोपाल के नवाब फैज बहादुर के काल में सन् 1763-64 ई. में भोपाल में निर्मित की गई थी। पिछले कई दशकों से यह तोप किलोल पार्क में जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पड़ी हुई थी। वहां से इसे रानी कमलापति महल में स्थापित किया गया है। यह आज इस गौरवशाली महल का मुख्य आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।

कमलापति महल का इतिहास

यह महल सन् 1722 में गिन्नौरगढ़ के शासक निजाम शाह कि विधवा रानी कमलापति द्वारा बनवाया गया था। इस स्थान के पश्चिम छोर के समीप स्थित पहाड़ी पर फतेहगढ़ किले के अवशेष हैं। महल को सन् 1989 में अभिरक्षित घोषित किया। तब से पुरातत्व सर्वेक्षण इसकी देखभाल कर रहा है।

यह तोप दर्शकों के अवलोकन के लिए महल के सामने रखी गई है। यह तोप पहले किलोला पार्क में जीर्ण-शीर्ण अवस्था में रखी हुई थी। वहां से तोप को कमलापति महल लगाया गया। -विजय शर्मा, प्रभारी, कमलापति महल, पुरातत्व विभाग

कमलापति महल में खड़ी असली की तोप देखकर और उसका इतिहास जानकर बहुत खुशी हुई। कमलापति महल में आकर शहर के बारे में बहुत कुछ जाने को मिला। गोंड कालीन महल से रूबरू हुए। यहां बहुत रोचक जानकारियां है। -आकाश बाथम, पर्यटक

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