
टेक्नोलॉजी की दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तेजी से बदलाव ला रही है। नए ऐप बनाने की बात हो, कंटेंट बनाने की या कोडिंग करने की, टेक्नोलॉजी हर क्षेत्र में डेवलपमेंट लेकर आई है। टेस्ला के पूर्व AI डायरेक्टर आंद्रेज कारपथी (Andrej Karpathy) ने हाल ही में ‘वाइब कोडिंग’ (Vibe Coding) नामक एक नया कॉन्सेप्ट पेश किया है। यह कोडिंग का एक अलग तरीका है, जिसमें प्रोग्रामर खुद से कोड लिखने के बजाय AI टूल्स का पूरा इस्तेमाल करते हैं। उनका मानना है कि अब कोडिंग सिर्फ इंसानों का काम नहीं रह गया है, बल्कि AI के साथ मिलकर इसे और आसान और कुशल बनाया जा सकता है।
कैसे काम करता है वाइब कोडिंग?
वाइब कोडिंग के लिए आप AI को निर्देश देकर छोटे-छोटे कोडिंग टास्क करवा सकते हैं। लेकिन इसके लिए आपको कोडिंग की बारीकियों को समझना पड़ता है। अगर कोड में कोई एरर आता है, तो वे उसे बस कॉपी-पेस्ट करके AI को दे देते हैं, और AI खुद उसे ठीक कर देता है। उनका कहना है कि यह तरीका छोटे और प्रयोगात्मक (experimental) प्रोजेक्ट्स के लिए काफी कारगर साबित हो सकता है।
हालांकि यह तरीका हर स्थिति में काम नहीं करता। कुछ मामलों में AI बग्स को सही नहीं कर पाता। तब उन्हें खुद बदलाव करने पड़ते हैं। लंबे और जटिल प्रोजेक्ट्स के लिए यह तरीका पूरी तरह भरोसेमंद नहीं है, लेकिन छोटे और तेज कामों के लिए यह काफी उपयोगी साबित हो सकता है।
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