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Teacher’s Day 2024 : डॉ. राधाकृष्णन की पहली सैलरी थी सिर्फ 17 रुपए, 5 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस?

Teacher’s Day 2024 : 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। इस दिन हमारे दूसरे राष्ट्रपति ‘भारत रत्न’ डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिवस होता है।आइए जानते हैं डॉ. राधाकृष्णन से जुड़े कुछ किस्से…

सुनाते थे संस्कृत व बाइबिल के श्लोक

पीपुल्स समाचार के पीपुल्स अपडेट के सभी दर्शकों को नूपुर शर्मा का नमस्कार। हमारे दूसरे राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिवस शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। आइए आज उनकी कुछ मजेदार बातें करते हैं। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का अपने छात्रों के बीच लोकप्रियता का आलम यह था कि जब वह मैसूर यूनिवर्सिटी छोड़कर कलकत्ता यूनिवर्सिटी में पढ़ाने के लिए जाने लगे तो छात्रों ने उन्हे फूलों से सजी एक बग्घी में बैठाया और उसे खुद खींचकर रेलवे स्टेशन तक ले गए। उनकी विशेषताएं अनूठी थी। उपराष्ट्रपति के तौर पर राज्यसभा सत्रों की अध्यक्षता के दौरान जब कभी सदस्यों के बीच आक्रोश पैदा हो जाता तो सदस्यों को शांत कराने की असाधारण तरकीब के तौर पर वे संस्कृत या बाइबिल के श्लोक सुनाने लगते थे।

बेतकल्लुफ इतने थे कि 1957 में जब वे सह-अस्तित्व पर चर्चा करने चीन पहुंचे तो माओ ने उनकी अगवानी की। जैसे ही दोनों ने हाथ मिलाया राधाकृष्णन ने माओ के गाल थपथपा दिए। इससे पहले कि माओ अपने गुस्से या आश्चर्य का इज़हार कर पाते, या उनके आसपास खड़े लोग कुछ कह पाते उससे पहले ही भारत के उप-राष्ट्रपति ने ज़बरदस्त पंच लाइन कही, “अध्यक्ष महोदय, परेशान मत होइए। मैंने यही अपनापन स्टालिन और पोप के साथ भी दिखाया है।”

हेलीकॉप्टर से पहुंचे थे वाइट हाउस

यही नहीं अमेरिका के राष्ट्रपति भवन ‘वाइट हाउस’ में हेलीकॉप्टर से पहुंचने वाले वे दुनिया के पहले अतिथि थे। 1962 में ग्रीस के राजा ने जब भारत का राजनीतिक दौरा किया तो डॉक्टर राधाकृष्णन ने उनका स्वागत करते हुए हाजिरजवाबी से कहा- महाराज, आप ग्रीस के पहले राजा हैं, जो भारत में अतिथि की तरह आए हैं। सिकंदर तो यहां बगैर आमंत्रण आए थे। जब राधाकृष्णन भारत के राष्ट्रपति बने तो दुनिया के महान दर्शन शास्त्रियों में से एक बर्टेंड रसेल ने कहा, ‘डॉ. राधाकृष्णन का राष्ट्रपति बनना दर्शनशास्त्र के लिए सम्मान की बात है और एक दर्शनशास्त्री होने के नाते मुझे काफी प्रसन्नता है। प्लेटो ने दार्शनिकों के राजा बनने की इच्छा जताई थी और यह भारत के लिए सम्मान की बात है कि वहां एक दार्शनिक को राष्ट्रपति बनाया गया है।’

वेतन का एक तिहाई राहत कोष में देते थे

एक बार उधार न लौटा पाने के कारण जिन राधाकृष्णन को अपने मेडल भी बेचने पड़े थे। जिन्होंने स्कालरशिप से अपनी पूरी पढ़ाई की और 17 रुपए के वेतन से जीवन शुरू किया, उनकी मितव्ययिता का आलम यह था कि राष्ट्रपति के रूप में अपने 10 हजार रुपए के वेतन से वे ढ़ाई हजार रुपए ही स्वीकार करते थे और शेष राशि हर महीने प्रधानमंत्री राहत कोष में जाती थी।

शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है जन्मदिन

उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति बनने से पहले। दार्शनिक और शिक्षाविद डॉ. राधाकृष्णन मद्रास, कलकत्ता, काशी और ऑक्सफोर्ड जैसे विश्वविद्यालयों में 40 साल भारतीय धर्म और दर्शन पढ़ाते रहे। राष्ट्रपति बनने के बाद जब छात्रों और प्रशंसकों ने उनका जन्मदिन सार्वजनिक रूप से धूमधाम से मनाना चाहा तो राधाकृष्णन जी ने याद दिलाया कि वे मूल रूप से शिक्षक हैं और चाहते हैं कि देशभर के शिक्षकों को यही सम्मान मिले। इसलिए उनका जन्मदिन हर शिक्षक के सम्मान स्वरूप शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए,… तो उन्हें गर्व होगा। इसके बाद 1962 से भारत में हर साल 5 सितंबर का दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

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