
नई दिल्ली। मुंबई में 26/11 के आतंकी हमले में आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा अब भारत की गिरफ्त में है। अमेरिका से प्रत्यर्पित किए गए इस आरोपी से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) लगातार तीसरे दिन पूछताछ कर रही है। जांच एजेंसी का फोकस इस बात पर है कि क्या राणा हमले के दौरान फोन कॉल के जरिए आतंकी हमलावरों को निर्देश दे रहा था। इसके लिए NIA उसकी आवाज के नमूने (Voice Sample) लेने की तैयारी कर रही है।
वॉयस सैंपल से जुड़े कानूनी पहलू
NIA के पास राणा की कुछ कॉल रिकॉर्डिंग मौजूद हैं, जो 26/11 हमलों से जुड़ी मानी जा रही हैं। इन रिकॉर्डिंग्स की जांच के लिए राणा की आवाज के सैंपल की जरूरत है, जिससे मिलान किया जा सके। हालांकि, कानूनी रूप से वॉयस सैंपल लेने के लिए राणा की सहमति जरूरी है। अगर वह मना करता है, तो एजेंसी कोर्ट से अनुमति ले सकती है। अगर कोर्ट की अनुमति मिल गई तो सैंपल दिल्ली स्थित NIA मुख्यालय में केंद्रीय फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (CFSL) के विशेषज्ञों की मौजूदगी में लिया जाएगा।
अमेरिका से प्रत्यर्पण की लंबी प्रक्रिया
- तहव्वुर राणा को अमेरिका से भारत लाने में करीब 6 साल लग गए।
- अगस्त 2018 में NIA कोर्ट ने उसके खिलाफ गिरफ्तारी वॉरंट जारी किया।
- दिसंबर 2019 में भारत ने पहली बार अमेरिका से उसका प्रत्यर्पण मांगा।
- 2020 में अमेरिका की अदालतों में इस पर सुनवाई चली, लेकिन कोरोना के चलते राणा को जेल से अस्थायी रिहाई मिल गई।
- मई 2023 में अमेरिकी कोर्ट ने प्रत्यर्पण की अनुमति दी, जिसे राणा ने सुप्रीम कोर्ट तक चुनौती दी लेकिन अंततः जनवरी 2025 में उसे भारत भेजने की इजाज़त दे दी गई।
- 10 अप्रैल 2025 को स्पेशल विमान से राणा को भारत लाया गया और पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे 18 दिन की NIA हिरासत में भेजा गया।
तीसरे दिन की पूछताछ में क्या हुआ?
NIA सूत्रों के अनुसार राणा से लगातार गहन पूछताछ की जा रही है। राणा ने पूछताछ के दौरान ‘दुबई मैन’ का जिक्र किया है, जो हमले की पूरी योजना से वाकिफ था। एजेंसी को शक है कि यह व्यक्ति पाकिस्तान और दुबई के बीच नेटवर्किंग, फंडिंग और लॉजिस्टिक्स का काम देख रहा था। साथ ही, राणा ने साजिद मीर से लगातार संपर्क में होने की बात मानी है। साजिद मीर को 26/11 हमले का मास्टरमाइंड माना जाता है। राणा के पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और लश्कर-ए-तैयबा से भी गहरे रिश्तों की जानकारी सामने आई है।
NIA के अनुसार तहव्वुर राणा से पूछताछ के जरिए वे हमले की गहराई, विदेश से मिले समर्थन, फंडिंग, नेटवर्क और अन्य साजिशकर्ताओं की भूमिका तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। वॉयस सैंपल मिलते ही जांच को और मजबूती मिलेगी। इस पूरे मामले की केस डायरी तैयार की जा रही है, जिसमें हर दिन की पूछताछ का रिकॉर्ड रखा जाएगा।
NIA मुख्यालय में हाई सिक्योरिटी सेल में रखा गया
- 64 वर्षीय राणा को दिल्ली के लोधी रोड स्थित NIA मुख्यालय की हाई-सिक्योरिटी सेल में रखा गया है।
- सेल का आकार 14×14 फीट है और इसे 24 घंटे गार्ड्स और CCTV से निगरानी में रखा गया है।
- राणा को सुसाइड वॉच पर रखा गया है और उसे सिर्फ सॉफ्ट टिप पेन दिया गया है ताकि वह खुद को नुकसान न पहुंचा सके।
- बाद में उसे तिहाड़ जेल के हाई-सिक्योरिटी वार्ड में शिफ्ट किया जाएगा।
डेविड हेडली से संबंध
- तहव्वुर राणा का नाम NIA की 405 पन्नों की चार्जशीट में दर्ज है।
- राणा ने आतंकी डेविड हेडली को मुंबई में फर्स्ट वर्ल्ड नाम से ऑफिस खोलने में मदद की थी।
- इसी ऑफिस की आड़ में हेडली ने रेकी की और ताज होटल, CST स्टेशन समेत हमलों की लोकेशन चुनी।
- हेडली ने राणा को ईमेल के जरिए आतंकी साजिश और शामिल लोगों की जानकारी दी थी।
- अमेरिकी अदालत में उसे कोपेनहेगन हमले की साजिश का दोषी माना गया, लेकिन 26/11 में सीधे तौर पर शामिल होने से बरी कर दिया गया था।
कौन है तहव्वुर राणा?
तहव्वुर हुसैन राणा का जन्म पाकिस्तान में हुआ था। उसने आर्मी मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई की और पाकिस्तान आर्मी में करीब 10 साल तक बतौर डॉक्टर काम किया। लेकिन बाद में उसने सेना छोड़ दी और कनाडा चला गया। वह कनाडा का नागरिक है और शिकागो में उसका व्यापार है।
अदालत के दस्तावेजों के मुताबिक, उसने कनाडा, पाकिस्तान, जर्मनी और इंग्लैंड की यात्राएं की हैं और वह सात भाषाएं बोल सकता है। 2006 से लेकर नवंबर 2008 तक तहव्वुर राणा ने डेविड हेडली और अन्य आतंकियों के साथ मिलकर मुंबई हमले की साजिश रची। इस दौरान तहव्वुर राणा ने आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और हरकत उल जिहाद ए इस्लामी की मदद की। उसने मुंबई आतंकी हमले की प्लानिंग की और इसे पूरा करने में मदद की। इस मामले में आतंकी हेडली सरकारी गवाह बन गया है।
26/11 मुंबई हमले के बारे में जानें
26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने मुंबई में हमला किया।आतंकियों ने लियोपोल्ड कैफे, छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, ताज महल होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, कामा हॉस्पिटल, नरीमन हाउस, मेट्रो सिनेमा और सेंट जेवियर कॉलेज को निशाना बनाया था।
आतंकियों ने एके-47, ग्रेनेड, आईईडी और आरडीएक्स का इस्तेमाल कर कई जगहों पर बम धमाके किए और लोगों को बंधक बना लिया। हमले में 166 निर्दोष लोगों की जान गई, जिनमें कई विदेशी नागरिक भी शामिल थे। वहीं 300 से अधिक घायल हुए।
ऑपरेशन 60 घंटे तक चला। 9 आतंकियों को मौके पर ही मार दिया गया, जबकि अजमल कसाब को पकड़ा गया और 2012 में फांसी दी गई। हमले से तीन दिन पहले यानी 23 नवंबर को 10 हमलावर कराची से नाव के रास्ते मुंबई में दाखिल हुए थे।
कैसे पकड़ा गया तहव्वुर राणा?
2009 में एफबीआई ने तहव्वुर राणा को अमेरिका में गिरफ्तार किया था। उसे लश्कर-ए-तैयबा को समर्थन देने और मुंबई हमले में भूमिका निभाने का दोषी पाया गया। अमेरिका में सुनवाई के दौरान डेविड हेडली ने सरकारी गवाह बनकर खुलासा किया कि राणा ने हमले की साजिश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
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