
सागर। मध्य प्रदेश के सागर जिले में एक उलटफेर वाला सियासी घटनाक्रम देखने को मिला। जहां देवरी से भाजपा विधायक बृजबिहारी पटैरिया उर्फ गुड्डा भैया ने पहले तो पार्टी से नाराजगी के चलते इस्तीफा दे दिया और फिर कुछ देर बाद उसे वापस भी ले लिया है। उन्होंने कहा कि, मैंने आक्रोश में आकर इस्तीफे का फैसला लिया था। यह सही नहीं है। अब इस्तीफे की कोई बात नहीं है। संगठन और सरकार मेरे साथ है, मुख्यमंत्री के आदेश का मैं पालन करूंगा।
क्यों दिया था इस्तीफा
सागर जिले के देवरी से भाजपा विधायक बृजबिहारी पटैरिया ने गुरुवार देर रात इस्तीफा दिया था। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष के नाम पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने एक मामले का जिक्र करते हुए लिखा था कि, पीड़ित पक्ष के साथ न्याय नहीं होने से आहत हूं, इसलिए विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं।
भाजपा विधायक के कहने पर जब थाना प्रभारी ने एफआईआर दर्ज नहीं की तो वह नाराज होकर केसली थाने के बाहर अपने समर्थकों के साथ धरने पर बैठ गए थे। इसके साथ ही उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी थी। जिसके बाद मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों और विधायकों ने उन्हें समझाने की कोशिश की। लेकिन विधायक एक डॉक्टर पर मामला दर्ज करने की मांग पर अड़े रहे। 4 घंटे तक धरना प्रदर्शन के बाद पुलिस ने आरोपी डॉक्टर पर FIR दर्ज की।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, ग्राम मेढ़की निवासी राजेश यादव के दादा धन सिंह यादव (70) की सर्प दंश से मौत हो गई थी। जिसकी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बनाने के लिए डॉक्टर ने मृतक के परिजन से पैसों की मांग की। परिजनों ने केसली के डॉक्टर पर आरोप गया कि, उसने पीएम रिपोर्ट में सर्प दंश की पुष्टि के लिए 40,000 रुपए की रिश्वत मांगी थी। इस जानकारी के आधार पर मृतक के परिवार को सरकार की ओर से 4 लाख रुपए की सहायता राशि मिलती।
इसकी शिकायत सीएम हेल्पलाइन में भी दर्ज कराई गई, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। जिसके बाद पीड़ित परिवार बुधवार (9 अक्टूबर) को भाजपा विधायक बृजबिहारी पटेरिया के यहां शिकायत लेकर पहुंचा। विधायक ने देवरी थाना प्रभारी से डॉ. दीपक दुबे के खिलाफ एफआईआर करने पत्र लिखा, लेकिन पुलिस ने ठोस आधार नहीं होने से एफआईआर नहीं की। इससे बिफरे विधायक केसली थाने में धरने पर बैठ गए और इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को भेज दिया। इसमें लिखा है कि पीड़ित पक्ष के साथ थाना केसली में उपस्थित हुआ। एफआईआर दर्ज नहीं होने से मैं आहत है, पीड़ित व्यथित है। अत: विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं।
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