
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक मिशन पर रवाना हो गए हैं। उनकी यह 8 दिन की विदेश यात्रा पांच देशों- घाना, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया को कवर करेगी। यह यात्रा न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम है, बल्कि भारत की वैश्विक भूमिका को और व्यापक बनाने का प्रयास भी है।
घाना यात्रा के साथ पीएम मोदी उस ऐतिहासिक कड़ी को फिर से जोड़ने जा रहे हैं, जो तीन दशक पहले अंतिम बार बनी थी। इससे पहले 1995 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंह राव और उससे पहले 1957 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने घाना का दौरा किया था।
तीन दशक में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली घाना यात्रा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी यात्रा की शुरुआत अफ्रीकी देश घाना से कर रहे हैं। यह यात्रा कई मायनों में ऐतिहासिक है, क्योंकि यह तीन दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है। घाना के राष्ट्रपति जॉन महामा के निमंत्रण पर पीएम मोदी वहां दो दिन बिताएंगे। इस दौरान वे घाना की संसद को संबोधित करेंगे और वहां बसे 15 हजार से अधिक भारतीय समुदाय से भी संवाद करेंगे।
UPI और डिजिटल सहयोग पर होगा फोकस
पीएम मोदी और राष्ट्रपति महामा की द्विपक्षीय वार्ता के दौरान दोनों देशों के बीच कई क्षेत्रों में समझौते (MoUs) होंगे। इनमें विशेष ध्यान डिजिटल ट्रांजैक्शन, ऊर्जा, कृषि और वैक्सीन उत्पादन जैसे क्षेत्रों पर रहेगा। भारत सरकार का UPI (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) सिस्टम घाना में लागू करने की दिशा में दोनों देश गंभीर बातचीत करेंगे। इसके जरिए डिजिटल भुगतान को आसान बनाकर द्विपक्षीय व्यापार को भी गति दी जाएगी।
ब्रिक्स सम्मेलन के लिए ब्राजील की यात्रा
अपनी यात्रा के अंतिम चरण में प्रधानमंत्री मोदी ब्राजील जाएंगे, जहां वे ब्रिक्स (BRICS) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। ब्रिक्स एक उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं का संगठन है, जिसमें भारत के अलावा ब्राजील, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। पीएम मोदी ने अपने रवाना होने से पहले जारी बयान में कहा कि भारत वैश्विक बहुध्रुवीयता, शांति और समरसता की दिशा में BRICS जैसे मंचों के माध्यम से अपनी प्रतिबद्धता को और मजबूत कर रहा है।
घाना की आजादी में गांधी के विचारों की प्रेरणा
घाना न केवल भारत के पुराने सहयोगी देशों में से एक है, बल्कि वहां की आजादी की लड़ाई में भी भारत की विचारधारा का गहरा असर रहा है। घाना के पहले प्रधानमंत्री क्वामे एन्क्रूमा, जिन्हें ‘अफ्रीका का महात्मा गांधी’ कहा जाता है, उन्होंने गांधीजी के अहिंसात्मक विचारों को अपनाकर देश को स्वतंत्रता दिलाई थी। एन्क्रूमा ने ‘पॉजिटिव एक्शन’ आंदोलन चलाया, जिसमें अहिंसा, नागरिक अवज्ञा और हड़ताल जैसे गांधीवादी उपायों को अपनाया गया। 6 मार्च 1957 को घाना ब्रिटिश उपनिवेश से आज़ाद हुआ और अफ्रीका का पहला स्वतंत्र देश बना।
‘ग्लोबल साउथ’ के साथ सहयोग बढ़ाने की पहल
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा केवल द्विपक्षीय समझौतों और ब्रिक्स सम्मेलन तक सीमित नहीं है, बल्कि ‘ग्लोबल साउथ’ के साथ भारत के संबंधों को प्रगाढ़ करने की दिशा में भी एक निर्णायक पहल है। त्रिनिदाद एंड टोबैगो और नामीबिया जैसे देशों की यात्रा में पहली बार प्रधानमंत्री स्तर पर भागीदारी हो रही है। यह दर्शाता है कि भारत दक्षिणी गोलार्ध के देशों को रणनीतिक साझेदार के रूप में देख रहा है।
राजनयिक दृष्टि से रणनीतिक यात्रा
पीएम मोदी की इस यात्रा को भारत की विदेश नीति के लिहाज से एक रणनीतिक राजनयिक अभियान माना जा रहा है, जो अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और ब्रिक्स के मंचों पर भारत की भूमिका को और मजबूत करेगा। भारत की ‘एक्ट ईस्ट’, ‘एक्ट वेस्ट’ और ‘ग्लोबल साउथ कनेक्ट’ नीति का यह अगला पड़ाव है, जिससे आर्थिक, तकनीकी और राजनीतिक रिश्तों को नई ऊंचाइयां मिल सकती हैं।