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MP के स्कूलों में दिखाई जाएगी Chandrayaan-3 की लैंडिंग, बच्चे देखेंगे Live लैंडिंग; निर्देश जारी

भोपाल। भारत जल्द ही इतिहास रचने वाला है। चंद्रयान-3 का लैंडर 23 अगस्त को शाम 6:04 बजे चंद्रमा पर लैंड करेगा। मध्‍य प्रदेश के सभी स्कूलों में चंद्रयान-3 की लैंडिंग लाइव दिखाई जाएगी। इसके लिए स्कूलों में बुधवार को शाम साढ़े पांच से साढ़े छह बजे तक विशेष सभा का आयोजित कर लाइव स्ट्रीमिंग की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं। इसमें विद्यार्थियों और शिक्षकों को उपस्थित रहना होगा। इसको लेकर मंगलवार को लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक केके द्विवेदी ने निर्देश जारी कर दिए हैं।

चंद्रयान-3 की लैंडिंग यादगार अवसर है

लोक शिक्षण संचालनालय के जारी निर्देश में कहा गया है कि भारत के चंद्रयान-3 मिशन अंतरिक्ष अन्वेषण की खोज में एक मील का पत्थर है। यह मिशन भारतीय विज्ञान, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी एवं उद्योग के साथ ब्रांड इंडिया के लिए भी एक बड़ा कदम है। भारत का मून मिशन यानी चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर लैंडिंग एक यादगार अवसर है जो विद्यार्थियों के मन में अंतरिक्ष विज्ञान अन्वेषण के लिए जिज्ञासा को बढ़ावा देगा। इसके साथ ही विद्यार्थियों के मन में राष्ट्रीय गर्व एवं एकता की भावना उत्पन्न होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस अवसर पर साक्षी बनेंगे। इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण बुधवार की शाम 5.27 से प्रारंभ होगा।

डीईओ को किया निर्देशित

प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों (डीईओ) को निर्देशित किया गया है कि शाम 5.27 से 6.30 तक की विशेष सभा आयोजित एवं लाइव प्रसारण की व्यवस्था कर शिक्षकों एवं विद्यार्थियों की शामिल करने के लिए अपने जिले के स्कूलों के सभी प्राचार्यों को निर्देशित करें, जो विद्यार्थी 23 अगस्त को लाइव प्रसारण नहीं देख पाएंगे। ऐसे विद्यार्थियों के लिए 24 अगस्त को उपरोक्त कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग दिखाने की व्यवस्था करें।

चंद्रमा की सतह पर नजर आए गड्ढे

17 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने प्रोपल्शन मॉड्यूल को छोड़ दिया था और खुद आगे चल रहा था। जिससे वह चांद के और नजदीक पहुंच गया है। 18 अगस्त की दोपहर से पहले विक्रम लैंडर और प्रोपल्शन मॉड्यूल 153 km x 163 km की ऑर्बिट में थे। लेकिन करीब 4 बजे दोनों के रास्ते बदल गए।

चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल के गुरुवार (17 अगस्त) को अलग होने के बाद ली गईं तस्वीरों में चंद्रमा की सतह पर गड्ढे दिखाई देते हैं, जिन्हें इसरो द्वारा जारी की गईं तस्वीरों में ‘फैब्री’, ‘जियोर्डानो ब्रूनो’ और ‘हरखेबी जे’ के रूप में चिह्नित किया गया है। 17 अगस्त को प्रोपल्शन मॉड्यूल से लैंडर मॉड्यूल के अलग होने के ठीक बाद ‘लैंडर इमेजर’ (एलआई) कैमरा-1 द्वारा ली गईं तस्वीरें शामिल हैं। सेपरेशन के बाद लैंडर ने प्रोपल्शन मॉड्यूल से कहा- ‘थैंक्स फॉर द राइड मेट’। अब प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में 3-6 महीने रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स का अध्ययन करेगा।

चंद्रमा की अंतिम कक्षा में चंद्रयान-3

क्या है प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल ?

अब चंद्रयान के प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर अलग होने के लिए तैयार हैं। दरअसल, चंद्रयान-3 में एक प्रोपल्शन या प्रणोदक मॉड्यूल है। इसका मुख्य काम लैंडर को चंद्रमा के करीब लेकर जाने का था। लैंडर में एक रोवर शामिल हैं। भारत के तीसरे चंद्र मिशन का मुख्य उद्देश्य लैंडर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतारना है। चंद्रयान-2 मिशन में लैंडर पर नियंत्रण खो देने की वजह से उसकी सॉफ्ट लैंडिंग की जगह क्रैश लैंडिंग हो गई थी। इसके कारण लैंडर दुर्घटनाग्रस्‍त हो गया था।

5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में किया था प्रवेश

22 दिन के सफर के बाद पांच अगस्त को शाम करीब 7:15 बजे चंद्रयान ने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था। उसके बाद इसकी तीन बार ऑर्बिट बदली जा चुकी है।

  • 6 अगस्त : पहली बार चंद्रयान-3 की ऑर्बिट घटाई गई। जिसके बाद चंद्रयान 170 km x 4313 km की ऑर्बिट में घूम रहा था। इसी दिन चंद्रयान ने चांद की पहली तस्वीरें जारी की थीं।
  • 9 अगस्त : दूसरी बार चंद्रयान-3 की ऑर्बिट घटाई गई। जिसके बाद चंद्रयान 174 km x 1437 km किलोमीटर वाली छोटी अंडाकार कक्षा में घूम रहा था।
  • 14 अगस्त : तीसरी बार चंद्रयान-3 की ऑर्बिट घटाई गई। जिसके बाद चंद्रयान 150 Km x 177 Km किलोमीटर की ऑर्बिट में घूम रहा था।

कब-कब लॉन्च हुए चंद्रयान?

  • चंद्रयान-1 : साल 2008
  • चंद्रयान-2 : साल 2019
  • चंद्रयान-1 में सिर्फ ऑर्बिटर था, जबकि चंद्रयान-2 में ऑर्बिटर के साथ-साथ लैंडर और रोवर भी थे। वहीं चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर नहीं होगा, सिर्फ लैंडर और रोवर ही रहेंगे।
  • इस बार भी इसरो ने लैंडर का नाम ‘विक्रम’ और रोवर का ‘प्रज्ञान’ रखा है। लैंडर और रोवर के चंद्रयान-2 में भी यही नाम थे।

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