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भिंड के अनिकेत को हंगरी की डेब्रेसेन यूनिवर्सिटी में मिली 100% स्कॉलरशिप, टॉफेल के बिना ही हुआ सिलेक्शन

भिण्ड के अनिकेत चौहान को हंगरी की डेब्रेसेन यूनिवर्सिटी में 100 प्रतिशत स्कॉलरशिप मिली है। उनकी इस उपलब्धी से पूरे जिले में खुशी की का माहौल है। साथ ही उन्होंने इस बात को सिद्ध कर दिया है कि अगर आप कुछ करने की ठान लें तो उसे हासिल करने से आपको कोई नहीं रोक सकता है। अनिकेत ने डेब्रेसेन यूनिवर्सिटी में 100% स्कॉलरशिप के साथ बीएससी कम्प्यूटर साइंस में एडमिशन लिया है। उनकी इस कामयाबी के लिए केंद्रीय नगर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उन्हें फोन करके बधाई दी है। पीपुल्स समाचार ने अनिकेत से बात कर उनकी इस उपलब्धि के बारे में जाना…

शुरू से ही पढ़ाई में अच्छे थे अनिकेत

अनिकेत ने अपनी शुरुआती पढ़ाई भिण्ड के विद्यावती पब्लिक सेंट्रल स्कूल से ही पूरी की है। अनिकेत ने बताया कि वह शुरू से ही पढ़ाई में अच्छे थे। वह स्कूल में आयोजित एक्टिविटीज और कॉम्पीटिशन में हिस्सा लेते थे। उन्होंने स्कूली पढ़ाई के दौरान कई सारे सेमिनार अटेंड किए थे। बचपन से ही उन्हें इंग्लिश सीखने की चाहत थी। उनके 10वीं में 91% और 12वीं में 94% मार्क्स थे। परिवार में उनके अलावा उनके माता-पिता और दादा-दादी हैं। उनके पापा का फैब्रिकेशन का बिजनेस है और उनकी मां हाउसवाइफ हैं।

कैसे आया विदेश में पढ़ने का विचार

अनिकेत ने बताया कि उनकी एंटरप्रेन्योरशिप और कंप्यूटर साइंस में हमेशा से रुचि थी। उनका सोचना था कि अगर किसी फॉरेन यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने को मिल जा तो इस फील्ड में अच्छा किया जा सकता है। एंटरप्रेन्योरशिप के लिए ग्लोबल रिलेशनशिप भी अच्छे होने चाहिए। जिसके चलते उन्होंने विदेश से पढ़ाई पूरी करने का फैसला लिया। उन्होंने इंटरनेट की मदद से यूनिवर्सिटीज के बारे में जानकारी हासिल की। लेकिन वहां एप्लाई और पढ़ाई करने के लिए फाइनेनशियली स्टेबल नहीं थे। जिसके बाद उन्हें यूरोप की हंगरी यूनिवर्सिटि के बारे में जानकारी मिली जहां 100% स्कॉलरशिप को ऑप्शन था। अनिकेत ने मेहनत कर इस यूनिवर्सिटी का एग्जाम दिया और 100 प्रतिशत स्कॉलरशिप हासिल की।

सिलेक्शन प्रोसेस

अनिकेत ने बताया कि सबसे पहले स्कॉलरशिप के लिए एप्लाई करना पड़ता है। जिसके बाद हंगरी की गवर्नमेंट एक लिस्ट जारी करती है। जो यहां यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन (यूजीसी) को भेजी जाती है। इसके बाद यूजीसी बच्चों का सिलेक्शन करके एक फाइनल लिस्ट जारी करती है। जिसके बाद यूनिवर्सिटी एग्जाम कंडक्ट कराती है। हर यूनिवर्सिटी की अलग अलग पॉलिसी होती है।

स्टूडेंट्स के लिए टिप्स

विदेशी यूनिवर्सिटी में पढ़ने की चाह रखने वाले स्टूडेंट को ये नहीं सोचना चाहिए कि छोटे टाउन से हैं तो वो कुछ नहीं कर सकते। अगर करने की चाहत और खुद पर यकीन हो तो इंसान कुछ भी कर सकता है। इंटरनेट की मदद से हम पूरी जानकारी हासिल कर सकते हैं। हमें रिस्क लेने से डरना नहीं चाहिए और कुछ नया करने के बारे में सोचना चाहिए।

टॉफेल टेस्ट के बिना हुआ सिलेक्शन

इंग्लिश यूनिवर्सिटी में एडमिश्न के लिए टॉफेल (Test of English as a Foreign Language) होता है। जब मैंने 12वीं पास की तो उस समय इतना टाइम नहीं था कि ये टेस्ट दिया जाए और फिर इसके रिजल्ट का इंतजार किया जाए। इसलिए मैंने यूनिवर्सिटी को एक ई-मेल भेजा कि टॉफेल टेस्ट देने और उसका रिजल्ट आने तक यूनिवर्सिटी की डेडलाइन निकल जाएगी। इस पर अनिकेत ने यूनिवर्सिटी से इंटरव्यू लेने की बात कही। साथ ही इंटरव्यू सही नहीं होने पर प्रोसेस डिस्कंटिन्यू करने की बात कही। यूनिवर्सिटी ने उनकी यह रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करते हुए इंटरव्यू कंडक्ट किया। जिसमें उनका सिलेक्शन हो गया।

कॉन्फिडेंट होना है जरूरी

अनिकेत ने बताया कि जिस तरीके से हम इंटरव्यू में अपने आपको प्रस्तुत करते हैं उससे बहुत फर्क पड़ता है। हमें कॉन्फिडेंटली सारे सवालों के जवाब देने चाहिए। अगर आपकी इंग्लिश में थोड़ी सी भी फ्लुएंसी है, तो आपका सिलेक्शन हो सकता है। इंटरव्यू और एग्जाम में सवाल 10वीं और 12वीं की पढ़ाई से ही रिलेटिड थे। उसमें कुछ अलग से नहीं था।

मध्यप्रदेश के दूसरे स्टूडेंट को मिली फॉरेन यूनिवर्सिटी में 100% स्कॉलरशिप

इससे पहले इंदौर की गरिमा दुबे को अमेरिका की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी डार्टमथ ने अंग्रेजी भाषा के शोधपरख अध्ययन के लिए 2 करोड़ 40 लाख रुपए की स्कॉलरशिप देने का फैसला लिया था।

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