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दो गुना से ज्यादा हैं कैदी, बिना स्टाफ शुरू की गईं तीन जेल

विजय एस. गौर भोपाल। सूबे की जेलों में क्षमता से दो गुना कैदियों को ठूंस-ठूंसकर रखा जा रहा है। दूसरी ओर, कैदियों के बढ़ते दबाव से पार पाने के लिए 90 के दशक में पांच नई उपजेलों का शुरू किया गया निर्माण तीन दशक बाद भी अटका हुआ है। ऐसे में जेल महकमे ने बिना स्टाफ स्वीकृति के ही तीन जेलों को शुरू कर दिया है। वहीं एक जेल में कॉलेज लगता था, जोकि वापस जेल विभाग को इसी वर्ष मिलने की उम्मीद है। एक अन्य जेल खंडहर हो चुकी है, जिसका रिनोवेशन होना है।

ज्ञात हो कि प्रदेश की जेलों की क्षमता 2575 कैदियों की है, जिसके मुकाबले 4 हजार 850 कैदियों को जेलों में ठूंस-ठूंसकर भरा गया है। इसका असर यह हो रहा है कि आए दिन कैदियों के बीच संघर्ष हो रहे हैं। ऐसे में जेल महकमे ने बड़नगर जिला उज्जैन, त्योंथर जिला रीवा, अनूपपुर जिला अनूपपुर उपजेलों को पीडब्ल्यूडी से लेकर बिना स्टाफ स्वीकृति के ही शुरू कर दिया है। इसके लिए दूसरी जेलों से स्टाफ को अटैच किया गया है। इन तीनों जेलों का निर्माण 1990-1995 के बीच शुरू हुआ था, जोकि किसी न किसी कारण से जेल विभाग को हैंडओवर नही हो सकी थीं। वहीं स्टाफ की कमी स्थाईतौर पर दूर करने के लिए महकमे की ओर से भेजे गए प्रस्ताव के बाद 200 प्रहरियों की भर्ती प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

खंडहर में तब्दील हो गई नई जेल

कैदियों की बढ़ती तादाद और कम पड़ती जगह के मद्देनजर 1988 से 1990 के बीच रायसेन जिले में गैरतगंज और सिलवानी उपजेल बनाने की शुरूआत हुई थी। हालांकि दोनों उपजेल के साथ ही पास में स्टाफ क्वॉर्टर तक का निर्माण पूर्ण हो जाने के बाद भी पेयजल कनेक्शन सहित कुछ अन्य तकनीकी खामियों के कारण जेल विभाग को हैंडओवर नहीं की जा सकी। नतीजे में गैरतगंज उपजेल और स्टाफ क्वॉर्टर समय के साथ खंडहर में तब्दील होते चले गए।

जेल बन गई शिक्षा का मंदिर

1990 में सिलवानी उपजेल का निर्माण शुरू हुआ। इसकी क्षमता के हिसाब से कैदी नहीं होने और स्टाफ नहीं होने से जेल महकमे ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। ऐसे में पीडब्ल्यूडी ने इसको उच्चशिक्षा विभाग को सौंप दिया गया, जिससे सिलवानी उपजेल में महाविद्यालय शुरू हो गया। हालांकि अब इसको इसी सत्र से खाली करवाया जाकर जेल विभाग को हैंडओवर करने की तैयारी है।

ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार होने पर तुरंत यहां करें शिकायत

एक ओर टेक्नोलॉजी ने हमारा जीवन आसान बनाया है वहीं इसके कुछ नुकसान भी हैं जो हमें झेलने पड़ते हैं। डिजिटलाइजेशन के दौर में हर चीज हमसे सिर्फ एक क्लिक की दूरी पर है। इन सबके साथ ऑनलाइन पेमेंट भी बढ़े हैं। ऑनलाइन पेमेंट की सुविधा से हमें खुदरा रुपयों की चिंता नहीं रहती और यह आसान भी है। लेकिन इसके साथ ही इसमें धोखाधड़ी की संभावना भी बनी रहती है। ऑनलाइन ठगी की खबरें हम आए दिन पढ़ते रहते हैं। आइए जाने है कि अगर कभी आप ऑनलाइन ठगी का शिकार हो जाएं तो आपको क्या-क्या कदम उठाने चाहिए।

सावधानी न बरतने पर कोई भी आपका पासवर्ड चुरा कर आपके अकाउंट से पैसे निकाल सकता है। कोई फिशिंग के जरिये भी आपको नुकसान पहुंचा सकता है। साइबर ठग अक्सर कोई ऑफर के बारे में बताकर, कभी आपके एकाउंट में नंबर अपडेट करने को लेकर तो कभी किसी और बहाने से ठगी का जाल बुनते हैं। ज्यादातर लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं होती है इसलिए उन्हें झांसे में लेना आसान हो जाता है। ऐसे में आपको सावधान रहना बेहद जरूरी है।

कहां दर्ज करें शिकायत

साइबर क्राइम या ऑनलाइन ठगी की घटनाओं को रोकने और इनकी शिकायत दर्ज कराने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक नेशनल हेल्पलाइन नंबर (155260) जारी किया है। आप धोखाधड़ी की शिकायत इस नंबर पर दर्ज करा सकते हैं। यदि आप ऐसे किसी अपराध के शिकार होते हैं तो सबसे पहले इस नंबर पर कॉल करें।

जितनी जल्दी शिकायत उतना अच्छा

जब भी आपके साथ ऐसी कोई घटना होती है तो उसके शुरूआती दो-तीन घंटे बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। ऐसे में आप जितनी जल्दी रिपोर्ट करेंगे साइबर टीम उतनी ही जल्दी एक्शन लेगी। इससे आपके पैसे वापस आने की संभावना भी बढ़ जाती है।

ऐसे काम करती है हेल्पलाइन

आप जैसे ही किसी ऑनलाइन ठगी की सूचना देते हैं, वैसे ही साइबर टीम अलर्ट हो जाती है। सबसे पहले वह संबंधित बैंक से संपर्क करती है और आपके एकाउंट से पैसे जिस एकाउंट में ट्रांसफर किए गए हैं उसे होल्ड कर देती है। इससे होता यह है कि जिस व्यक्ति ने आपके साथ धोखाधड़ी की है वह उन पैसों का इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। वह न तो पैसे निकाल पाएगा और न ही किसी और एकाउंट में ट्रांसफर कर पाएगा।

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ऑनलाइन ठगी जैसे अपराधों से बचने के लिए जागरूक होना ही उपाय है। जब ऑनलाइन पेमेंट करते हैं तो आपके एकाउंट में होने वाली हलचल पर ध्यान रखें। अपने एकाउंट की कोई भी जानकारी किसी के साथ शेयर न करें। अपने पासवर्ड, ओटीपी आदि भी किसी को न बताएं।

सीधी बात

क्षमता से ज्याद कैदियों की समस्या के निदान के लिए क्या हो रहा है?

त्योंथर, बड़नगर और अनूपपुर की जेलों को शुरू कर दिया गया है। अभी स्टाफ स्वीकृत नहीं होने से आसपास से अटैच करके काम चला रहे हैं।

क्या बाकी जेलें भी महकमे को हैंडओवर हो रही हैं?

सिलवानी जेल में कॉलेज चलता था, जोकि अन्यत्र शिफ्ट करके जल्द ही जेल विभाग को मिल जाएगी। वहीं गैरतगंज जेल जरुर खस्ताहाल होने से उसकी मरम्मत के लिए लिखा गया है।

स्टाफ की कमी को कैसे दूर किया जाएगा?

अभी जो भर्ती प्रक्रिया चल रही है, उससे 200 प्रहरी सहित अन्य कर्मचारियों की आमद हो जाएगी।

– अरविंद कुमार, महानिदेशक जेल एवं सुरक्षात्मक सेवाएं

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