
Pitru Paksha 2024 : पितृपक्ष, जिसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होता है और आश्विन मास की अमावस्या तक चलता है। इस साल भाद्रपद माह की शुक्ल पूर्णिमा बुधवार से पितृपक्ष शुरू हुए, 2 अक्टूबर तक पितरों के श्राद्ध और तर्पण किए जा सकेंगे। आज सुबह से सैकड़ों लोग अपने पितरों का तर्पण करने नदी, तालाब समेत अन्य पवित्र कुंडो पर पहुंचे और तर्पण किया।
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से श्राद्ध का आरंभ माना जाता है। एक दिन पूर्णिमा का और 15 दिन कृष्ण पक्ष के कुल मिलाकर के 16 श्राद्ध की श्रेणी में आते है। लेकिन इस बार प्रतिपदा तिथि के क्षय होने से पूर्णिमा और प्रतिपदा के श्राद्ध एक ही दिन यानी आज बुधवार को हुए।
पितृपक्ष में इन चीजों को न खरीदें
पितृपक्ष 18 सितंबर से शुरू हो गए हैं और इनका समापन 2 अक्टूबर 2024 को होगा। सनातन परंपरा के अनुसार लोग पूर्वजों को नियत तिथि पर श्राद्ध कर्म से स्मरण करेंगे। इसके साथ ही सोलह दिनों तक सभी शुभ कार्य बंद हो जाएंगे। इन दिनों में लोग कपड़ा, सोना, चांदी, भवन, भूमि या वाहन की खरीदी भी नहीं करेंगे। हिंदू पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा का श्राद्ध कर्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को होगा। जिस तिथि में पितर देव दिवंगत हुए होते है, उसी तिथि पर पितृपक्ष में तिथियों के अनुसार श्राद्ध कर्म एवं तर्पण किया जाना शास्त्रसम्मत है।
कब से शुरू हो रहे पितृपक्ष 2024?
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 17 सितंबर को सुबह 11 बजकर 44 मिनट से
- पूर्णिमा तिथि समाप्त – 18 सितंबर को सुबह 8 बजकर 4 मिनट पर।
- आश्विन मास की अमावस्या तिथि आरंभ – 1 अक्टूबर को रात 9 बजकर 39 मिनट से
- अमावस्या तिथि समाप्त – 3 अक्टूबर को सुबह 12 बजकर 19 मिनट पर।
महत्वपूर्ण तिथियां
- 18 सितंबर 2024: पितृपक्ष की शुरुआत
- 2 अक्टूबर 2024: पितृपक्ष का समापन
पितृपक्ष का महत्व
पितृपक्ष में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और श्राद्ध का विशेष महत्व बताया गया है। धार्मिक मान्यता है कि हर मनुष्य का जन्म पिंडज योनि के तहत होता है, इसलिए पिंड का रूप में ही उसका तर्पण भी किया जाता है। जिन लोगों को अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि के बारे में जानकारी नहीं हैं, वे लो अमावस्या के दिन श्राद्ध कर सकते हैं। कुंडली में पितृ दोष दूर करने के लिए पितृपक्ष का समय सबसे अच्छा माना जाता है। इन दिनों पितरों को खुश करने के लिए और उनका आशीर्वाद पाने के लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं।
आत्मा की शांति के लिए दान का महत्व
पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए दान का धार्मिक महत्व है। पितृपक्ष 15 दिन की अवधि के लिए होता है और इस दौरान पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए पूरे विधि विधान के साथ उनका श्राद्ध किया जाता है। हर साल ही पितृपक्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होता है और आश्विन मास की अमावस्या तक रहता है। इस अवधि के दौरान तिथि के अनुसार अपने पूर्वजों का श्राद्ध किया जाना चाहिए।
पितृपक्ष 2024 की श्राद्ध तिथियां
- 17 सितंबर 2024, मंगलवार- पूर्णिमा का श्राद्ध
- 18 सितंबर 2024, बुधवार- प्रतिपदा का श्राद्ध
- 19 सितंबर 2024, गुरुवार- द्वितीय का श्राद्ध
- 20 सितंबर 2024, शुक्रवार तृतीया का श्राद्ध-
- 21 सितंबर 2024, शनिवार- चतुर्थी का श्राद्ध
- 21 सितंबर 2024, शनिवार महा भरणी श्राद्ध
- 22 सितंबर 2014, रविवार- पंचमी का श्राद्ध
- 23 सितंबर 2024, सोमवार- षष्ठी और सप्तमी का श्राद्ध
- 24 सितंबर 2024, मंगलवार- अष्टमी का श्राद्ध
- 25 सितंबर 2024, बुधवार- नवमी का श्राद्ध
- 26 सितंबर 2024, गुरुवार- दशमी का श्राद्ध
- 27 सितंबर 2024, शुक्रवार- एकादशी का श्राद्ध
- 29 सितंबर 2024, रविवार- द्वादशी का श्राद्ध, माघ श्रद्धा
- 30 सितंबर 2024, सोमवार- त्रयोदशी श्राद्ध
- 1 अक्टूबर 2024, मंगलवार- चतुर्दशी का श्राद्ध
- 2 अक्टूबर 2024, बुधवार- सर्वपितृ अमावस्या
किस समय करना चाहिए श्राद्धकर्म
शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष में सुबह और शाम के समय देवी-देवताओं की पूजा-पाठ की जाती है। जबकि दोपहर का समय पितरों को समर्पित होता है। इसलिए पितरों का श्राद्ध दोपहर के समय करना ही उत्तम होता है। पितृपक्ष में आप किसी भी तिथि पर दोपहर 12 बजे के बाद श्राद्धकर्म कर सकते हैं। इसके लिए कुतुप और रौहिण मुहूर्त सबसे अच्छे माने जाते हैं। सुबह सबसे पहले स्नान आदि करने के बाद अपने पितरों का तर्पण करें। गरीब ब्राह्मणों को भोज कराएं, उन्हें दान-दक्षिणा दें। श्राद्ध के दिन कौवे, चींटी, गाय, कुत्ते को भोग लगाएं।
(नोट: यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। हम मान्यता और जानकारी की पुष्टि नहीं करते हैं।)