
रांची। जमीन घोटाला मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मुश्किलें और ज्यादा बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। बुधवार को रांची की विशेष पीएमएलए अदालत ने हेमंत सोरेन की ईडी की रिमांड पांच दिनों के लिए बढ़ा दी। वहीं हाईकोर्ट में गिरफ्तारी के खिलाफ दाखिल की गई याचिका पर भी हेमंत सोरेन को राहत नहीं मिली।
सोरेन के जवाब से संतुष्ट नहीं है ईडी
ED का कहना है कि, पूछताछ के दौरान सोरेन ने जो जवाब दिए, उनसे वे संतुष्ट नहीं हैं। कई और सवाल अभी बाकी हैं, जिनके जवाब चाहिए। ऐसे में रिमांड की जरूरत होगी। ईडी ने पूछताछ के लिए 7 दिन की अवधी मांगी थी लेकिन कोर्ट ने उन्हें 5 दिन के रिमांड की मंजूरी दी है। अब ईडी पूर्व सीएम से 12 फरवरी तक पूछताछ करेगी यानी कि अगले 5 दिन तक फिर से हेमंत सोरेन ईडी की कस्टडी में रहेंगे। ईडी की अदालत में पेशी के दौरान हेमंत सोरेन ने अपनी समस्याओं का भी जिक्र किया।
बता दें कि, ED बड़गई के 8.46 एकड़ जमीन घोटाला मामले में सोरेन से पूछताछ कर रही है। सोरेन को 31 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था। 3 फरवरी को सोरेन को 5 दिन की रिमांड पर भेजा गया था।
पूर्व CM को कैंप जेल में रखा जाए : सोरेन के वकील
पांच दिनों की ED की कस्टडी के दौरान उनके वकील की ओर से हेमंत सोरेन को कैंप जेल में रखने की मांग की गई थी। कोर्ट में दलील दी गई कि, हेमंत सोरेन झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हैं, वह कई शारीरिक समस्याओं से पीड़ित हैं। इसलिए कोर्ट उन्हें रात में कैंप जेल में रहने की अनुमति दे। इस बात का ED के वकील ने विरोध किया था।
ED ने दिया यह तर्क
ED ने कहा था कि, कानून में रिमांड के लिए दो ही प्रावधान हैं, ज्यूडिशियल रिमांड और पुलिस रिमांड। कोर्ट ने सोरेन को पुलिस रिमांड पर भेजा है। रिमांड में हर इंसान की सुरक्षा की जिम्मेदारी ED की है। ऐसे में हेमंत सोरेन को रात में कैंप जेल में रखने की मांग कानूनन ठीक नहीं है। जिसके बाद सोरेन को होटवार जेल में रखा गया।
हेमंत सोरेन ने किया घोटाले से इंकार
ED को रिमांड के दौरान कुछ विशेष जानकारी नहीं मिली है। अब तक हुई पूछताछ के दौरान जमीन घोटाले को लेकर सवाल-जवाब किए गए। लेकिन, हेमंत सोरेन ने उसमें अपनी भूमिका से इनकार किया।
चंपई बने नए CM
31 जनवरी को हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद 2 फरवरी को चंपई सोरेन ने झारखंड के 12वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। चंपई के साथ कांग्रेस के आलमगीर आलम और राजद के सत्यानंद भोक्ता ने मंत्री पद की शपथ ली। जिसके बाद नई सरकार ने 5 फरवरी को बहुमत साबित किया।
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