
बेंगलुरु। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अंतरिक्ष में एक और ऊंची उड़ान भरी है। इसरो ने आज चित्रदुर्ग में एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में ‘पुष्पक’ नामक रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल (RLV) LEX 02 लैंडिंग एक्सपेरिमेंट को कामयाबी के साथ पूरा किया। इसे कर्नाटक के चित्रदुर्ग के एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में हेलीकॉप्टर से 4.5 किमी की ऊंचाई तक ले जाया गया और रनवे पर ऑटोनॉमस लैंडिंग के लिए छोड़ा गया।
RLV-LEX-02 Experiment:
🇮🇳ISRO nails it again!🎯Pushpak (RLV-TD), the winged vehicle, landed autonomously with precision on the runway after being released from an off-nominal position.
🚁@IAF_MCC pic.twitter.com/IHNoSOUdRx
— ISRO (@isro) March 22, 2024
पिछले पुष्पक विमान से 1.6 गुना बड़ा है विमान
ISRO ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट कर पुष्पक की सफल लैंडिंग की जानकारी दी है। कैप्शन लैंडिंग की टाइमिंग भी बताई गई है। इसकी लैंडिंग 7 बजकर 10 मिनट पर हुई। इससे पहले RLV का 2016 और 2023 में लैंडिंग एक्सपेरिमेंट किया जा चुका है। इस बार का पुष्पक विमान पिछली बार के RLV-TD से करीब 1.6 गुना बड़ा है।
इस टेक्नोलॉजी से रॉकेट को होगा फायदा
ISRO ने इस टेक्नोलॉजी पर बात करते हुए बताया कि इससे रॉकेट लॉन्चिंग अब पहले से सस्ती होगी। अंतरिक्ष में अब उपकरण पहुंचने में लागत काफी काम आएगी।
विमान के फायदे
ISRO ने बताया कि इस विमान के लॉन्च का मकसद स्पेस तक कम लागत में पहुंचना है। इस के फायदे गिनाते हुए इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा- पुष्पक स्पेस तक पहुंच को किफायती बनाने का भारत का एक साहसिक कदम है। विमान के ऊपर का हिस्सा जो कि काफी महंगा होता है, उसको ये विमान वापस से सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लाएगा। जिसे दोबारा इस्तेमाल किया जा सकेगा। इस तरह से काफी पैसों की बचत होगी। पुष्पक (आरएलवी) को पूरी तरह से रियूजेबल रॉकेट, सिंगल-स्टेज-टू-ऑर्बिट (एसएसटीओ) के रूप में डिजाइन किया गया है। ‘पुष्पक’ की बॉडी में डबल डेल्टा पंख है।
नासा के स्पेस शटल की तरह है RLV
ISRO का RLV नासा के स्पेस शटल की ही तरह ही है। लगभग 2030 तक पूरा होने पर, यह विंग वाला स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी की निचली कक्षा में 10,000 किलोग्राम से ज्यादा वजन ले जाने में सक्षम होगा।
ISRO का पिछला एक्सपेरिमेंट भी सफल था
ISRO अपने रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल पर लंबे समय से काम कर रहा है। ये अभी अपने इनिशियल स्टेज में है। इससे पहले 2 अप्रैल 2023 को ISRO ने अपने इस व्हीकल का ऑटोनॉमस लैंडिंग एक्सपेरिमेंट किया था जो कि सफल हुआ था।
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