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गैंगरेप पीड़िता के गर्भपात का मामला : इंदौर हाई कोर्ट ने किया मेडिकल बोर्ड का गठन, दो दिन के भीतर मांगी रिपोर्ट

इंदौर। गैंगरेप पीड़िता द्वारा दाखिल गर्भपात की याचिका पर हुई सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने बुधवार (11 अक्टूबर) को मेडिकल बोर्ड का गठन किया। कोर्ट ने बोर्ड से दो दिन के अंदर रिपोर्ट मांगी है। बोर्ड द्वारा दो दिन बाद कोर्ट को बताया जाएगा कि मामले में क्या किया जा सकता है। बता दें कि, 15 साल की पीड़िता का 7 माह का गर्भ गिराने की अनुमति के लिए इंदौर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। हालांकि, डॉक्टरों की मानें तो सात माह के गर्भ का अबॉर्शन करना मुश्किल है। ऐसा करने से पीड़िता की जान को भी खतरा हो सकता है।

क्या है पूरा मामला

हाई कोर्ट एडवोकेट विकास यादव ने बताया की, 7 सितंबर को मामला दर्ज करवाया गया था। उस समय पीड़िता 6-7 महीने की गर्भवती थी। शिकायत में बताया गया कि, 15 साल की पीड़िता के साथ उसके दोस्त ने ही एक अन्य साथी के साथ मिलकर दुष्कर्म किया था। पीड़िता और आरोपी दोनों दोस्त थे, वे साथ में पढ़ते और कोचिंग जाते थे। आरोपी ने कई बार पीड़िता के साथ अपने घर पर दुष्कर्म किया था। वो जब भी अपने दोस्त से घर मिलने जाती थी, उसका दोस्त उसके साथ जबरदस्ती करता था। पीड़िता ने पुलिस को यह भी बताया था कि, आरोपी के साथ उसका एक अन्य दोस्त भी था। जिसके बाद पुलिस ने पूरे मामले में गैंगरेप की धाराओं में मामला दर्ज किया था।

गर्भपात के दौरान जान भी जा सकती है : डॉक्टर

पुलिस द्वारा उन्हें अभिरक्षा में लेकर बाल संप्रेषण गृह भेज दिया गया था। पूरे मामले को लेकर हाई कोर्ट एडवोकेट ने बताया कि, पीड़िता की स्थिति को देखते हुए उन्होंने इंदौर हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की। जिस पर बुधवार सुबह फैसला आया। पीड़िता 15 साल की है और उसके साथ गैंगरेप की घटना होने के बाद उसे सात माह का गर्भ है। ऐसे में इंदौर हाई कोर्ट के आदेश के बाद ही डॉक्टर की टीम गठित करके उसका अबॉर्शन होगा। वहीं डॉक्टरों के मुताबिक, सात माह के गर्भ का अबॉर्शन करना काफी मुश्किलों भरा हो सकता है। इसमें पीड़िता की जान भी जा सकती है।

(इनपुट – हेमंत नागले)

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