
नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि भारत आज ऐसी स्थिति में है, जो रूस और यूक्रेन के बीच शांति स्थापित कर सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के पास ऐसा प्रधानमंत्री है, जो वोलोदिमिर जेलेंस्की और व्लादिमीर पुतिन दोनों को गले लगा सकता है। उनके इस बयान के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। भाजपा ने उनके बयान का स्वागत किया, जबकि कांग्रेस की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
थरूर बोले- भारत शांति सैनिक भेज सकता है
केरल के तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने यह भी संभावना जताई कि अगर रूस और यूक्रेन के बीच बातचीत के जरिए शांति स्थापित होती है, तो भारत शांति सैनिकों को भेज सकता है। उन्होंने कहा, “रूस ने स्पष्ट कर दिया है कि वे नाटो देशों के शांति सैनिकों को स्वीकार नहीं करेंगे। ऐसे में यूरोप से बाहर के देशों को यह भूमिका निभानी होगी और भारत इसमें महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।”
अपने पुराने बयानों पर जताई शर्मिंदगी
थरूर ने यह भी स्वीकार किया कि 2022 में उन्होंने संसद में भारत के यूक्रेन पर रुख की आलोचना की थी, लेकिन अब उन्हें अपनी उस टिप्पणी पर शर्मिंदगी महसूस हो रही है। उन्होंने कहा, “आज की स्थिति को देखते हुए, मुझे तीन साल पहले दिए गए अपने बयान पर अफसोस है।” उन्होंने यह टिप्पणी दिल्ली में आयोजित रायसीना डायलॉग में की।
भाजपा ने किया स्वागत, कांग्रेस की चुप्पी
थरूर के इस बयान पर भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, “थरूर ने सच बोला है। उम्मीद है कि राहुल गांधी उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लेंगे।”
जब पत्रकारों ने थरूर से उनके बयान पर सवाल किया, तो उन्होंने कहा, “मेरा कमेंट खुद ही सब कुछ कहता है। इसमें नया जोड़ने की जरूरत नहीं है।”
मोदी-ट्रंप मुलाकात को बताया था सकारात्मक
पिछले कुछ समय से शशि थरूर कई मौकों पर पीएम मोदी की तारीफ कर चुके हैं। वह भाजपा नेताओं के साथ भी घुलते-मिलते दिख रहे हैं। इससे पहले भी उन्होंने मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात को सकारात्मक बताया था। उन्होंने कहा था, “प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप की बैठक के कुछ महत्वपूर्ण परिणाम भारत के लिए अच्छे हैं।”
कांग्रेस से नाराज हैं थरूर
कांग्रेस पार्टी में थरूर की स्थिति को लेकर असमंजस की खबरें भी सामने आई हैं। 18 फरवरी को शशि थरूर और राहुल गांधी के बीच एक मुलाकात हुई थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, थरूर ने राहुल से शिकायत की थी कि उन्हें संसद में महत्वपूर्ण बहसों में बोलने का मौका नहीं मिलता और पार्टी में उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है। हालांकि, राहुल गांधी ने उनकी शिकायतों पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी, जिससे थरूर को लगा कि कांग्रेस उनके मुद्दों पर कोई कदम उठाने के लिए तैयार नहीं है।