
कैनबरा। मनुष्य एक लाख से अधिक वर्षों से पृथ्वी पर है, हमने रात में ऊपर देखा है और तारों तथा अपनी आकाशगंगा ‘निहारिका (मिल्की वे)’ को देखा है। दुनिया भर की संस्कृतियों में इस भव्य, उत्कृष्ट दृश्य से संबंधित कहानियां और अभिलेख मौजूद हैं। हालांकि, लगभग तीन अरब लोग अब रात में आकाश की ओर देखने पर आकाशगंगा को नहीं देख पाते हैं।
प्रकाश प्रदूषण इस नुकसान का दोषी है। लेकिन, यह अपेक्षाकृत हाल की ही समस्या है। ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रीय विवि के शोधकर्ता ब्रैड ई टकर के अनुसार, लगभग एक सदी पहले, दुनिया के कुछ बड़े शहरों के ऊपर का आसमान इतना साफ था कि आकाशगंगा के गैसीय बादल और ब्रह्मांड में चमकती टिमटिमाती रोशनी के कण दिखाई दिखाई देते थे।
स्ट्रीट लाइट से होता है अधिकतर प्रदूषण
शोध के अनुसार, प्रकाश प्रदूषण भी विभिन्न स्रोतों से आता है। इसका अधिकतर हिस्सा स्ट्रीट लाइट से आता है। वे शहर में प्रकाश प्रदूषण का 20 से 50 प्रतिशत हिस्सा हैं, लेकिन वे एकमात्र स्रोत नहीं हैं। अन्य स्रोतों में अंडाकार, बिलबोर्ड और हमारे घरों में लगी लाइटें शामिल हैं – अंदर और बाहर दोनों जगह। रात में जब हम किसी बड़ी इमारत या खाली अपार्टमेंट को देखते हैं, जिसके अंदर सभी लाइटें जल रही हों और कोई छत या कवर न हो, तो वह प्रकाश प्रदूषण है।