
आज यानी 31 अगस्त, बुधवार से गणेशोत्सव का पर्व प्रारंभ होने जा रहा है। इस दिन मंदिरों से लेकर घर-घर में भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना की जाती है और पूरे 10 दिनों तक बप्पा की अराधना के बाद शीघ्र आने की कामना के साथ उनका विसर्जन किया जाता है। आइए जानते हैं गणेश चतुर्थी पर श्री गणेश की मूर्ति स्थापना किस मुहूर्त और किस विधि से करें।
प्रथम पूज्य देवता माने जाते हैं गणेश जी
मान्यता है कि गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को मध्याह्न काल में स्वाति नक्षत्र एवं सिंह लग्न में हुआ था, यही वजह है कि इस चतुर्थी को मुख्य गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी कहते हैं। यह कलंक चतुर्थी के नाम से भी प्रसिद्ध है। भगवान श्री गणेश प्रथम पूज्य देवता माने जाते हैं। किसी भी मंगल कार्य का शुभारंभ करने से पूर्व भगवान गणेश को याद किया जाता है।

गणपति स्थापना का शुभ मुहूर्त
- गणेश चतुर्थी की तिथि आरंभ: 30 अगस्त, दोपहर 03:34 मिनट।
- गणेश चतुर्थी की तिथि समाप्त: 31 अगस्त, दोपहर 03:23 मिनट।
- गणपति स्थापना का मुहूर्त: 31 अगस्त को सुबह 11:05 से दोपहर 01:38 तक रहेगा।
- गणेश चतुर्थी व्रत : 31 अगस्त 2022
- विजय मुहूर्त: दोपहर 2.34 – 3.25 (31 अगस्त 2022)
- अमृत काल मुहूर्त: शाम 5.42 – 7.20 (31 अगस्त 2022)
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 6.36 – 7.00 (31 अगस्त 2022)
गणेश चतुर्थी पर 10 साल बाद बन रहा विशेष संयोग
शास्त्रों के मुताबिक, गणेशजी का जन्म भाद्र शुक्ल चतुर्थी के दिन दोपहर के समय हुआ था। जिस दिन गणेशजी का जन्म हुआ था उस दिन बुधवार था। अबकी बार भी कुछ ऐसा संयोग बना है कि भाद्र शुक्ल चतुर्थी तिथि दोपहर के समय बुधवार को रहेगी। ऐसा संयोग इसलिए बना है क्योंकि चतुर्थी तिथि मंगलवार 30 अगस्त को दिन में 3 बजकर 34 मिनट से लग जा रही है और अगले दिन यानी 31 अगस्त को दिन में 3 बजकर 23 मिनट तक रहेगी।
31 अगस्त को उदया कालीन चतुर्थी तिथि और मध्याह्न व्यापिनी चतुर्थी तिथि होने से इसी दिन विनायक चतुर्थी का व्रत पूजन सर्वमान्य होगा। धार्मिक दृष्टि से यह बहुत ही शुभ संयोग है। इस शुभ संयोग में गणेशजी की पूजा अर्चना करना भक्तों के लिए बेहद कल्याणकारी होगा।
गणेश चतुर्थी पर रहेगा रवियोग
गणेश चतुर्थी 31 अगस्त के दिन अबकी बार रवियोग भी उपस्थित रहेगा, जैसा कि 10 साल पहले भी था। गणेशजी का आगमन तो यूं भी सभी विघ्नों को दूर करता है उस पर रवियोग का भी होना और भी शुभ है क्योंकि रवियोग को भी अशुभ योगों के प्रभाव को नष्ट करने वाला माना गया है।
गणेश चतुर्थी पर ग्रह गोचर का योग
इस बार गणेश चतुर्थी के दिन दोपहर तक चंद्रमा बुध की राशि कन्या में होंगे। शुक्र इसी दिन राशि बदलकर सिंह में आएंगे और सूर्य के साथ मिलेंगे। यानी इसी दिन शुक्र संक्रांति होगी। गुरु अपनी राशि मीन में होंगे। शनि अपनी राशि मकर में। सूर्य अपनी राशि सिंह में। बुध अपनी राशि कन्या में होंगे। यानी इस दिन चार ग्रह अपनी राशि में होंगे। ग्रह नक्षत्रों का यह संयोग भी भक्तों के लिए शुभ फलदायी रहेगा।
गणेश चतुर्थी का कार्यक्रम
इस साल गणेश चतुर्थी 31 अगस्त को है। इस दिन गणपति को विराजमान किया जाएगा। 09 सितंबर को अनंत चतुर्दशी पर गणेश जी की मूर्ति विसर्जित की जाएगी। इन 10 दिनों तक जोर-शोर के साथ गणेश उत्सव मनाया जाएगा। भगवान गणेश के भक्त 10 दिन तक उनकी पूजा-उपासना करेंगे। इस अवधि में कई खास कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। आखिर में अनंत चतुर्दशी के दिन ‘गणपति बप्पा मोरिया’ के जयकारों के साथ गणेश विसर्जन करेंगे।
इस विधि से करें गणेश मूर्ति स्थापना
गणेश चतुर्थी पर गणपति स्थापना नियमों का पालन करते हुए करना चाहिए। मूर्ति स्थापना की विधि इस प्रकार है-
- सर्वप्रथम चौकी पर जल छिड़कें और इसे शुद्ध कर लें।
- इसके बाद चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं और उस पर अक्षत रख दें।
- भगवान गणेश की मूर्ति को इस चौकी पर स्थापित करें।
- अब भगवान गणेश को स्नान कराएं या गंगाजल छिड़कें।
- मूर्ति स्थापित करते समय इस बात का ध्यान रखें कि मूर्ति के दोनों ओर रिद्धि-सिद्धि के रूप में एक-एक सुपारी रखें।
- गणपति मूर्ति के दाईं ओर एक जल से भरा कलश रखें।
- हाथ में अक्षत और फूल लेकर भगवान का ध्यान करें।
- गणेशजी के ॐ गं गणपतये नम: मंत्र का जाप जरूर करें।
गणेश जी की पूजा विधि
- सबसे पहले भगवान गणेश का आवहन करते हुए ऊं गं गणपतये नम: मंत्र का उच्चारण करते हुए चौकी पर रखी गणेश प्रतिमा के ऊपर जल छिड़के।
- भगवान गणेश की पूजा में इस्तेमाल होने वाली सभी सामग्रियों को बारी बारी से उन्हें अर्पित करें। भगवान गणेश की पूजा सामग्रियों में खास चीजें होती हैं ये चीजें- हल्दी, चावल, चंदन, गुलाल,सिंदूर,मौली, दूर्वा,जनेऊ, मिठाई,मोदक, फल,माला और फूल।
- इसके बाद भगवान गणेश का साथ भगवान शिव और माता पार्वती की भी पूजा करें। पूजा में धूप-दीप करते हुए सभी की आरती करें।
- आरती के बाद 21 लड्डओं का भोग लगाएं जिसमें से 5 लड्डू भगवान गणेश की मूर्ति के पास रखें और बाकी को ब्राह्राणों और आम जन को प्रसाद के रूप में वितरित कर दें।
- अंत में ब्राह्राणों को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद लें।
(नोट: यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। हम मान्यता और जानकारी की पुष्टि नहीं करते हैं।)