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अमेरिकी हमले के बाद पीएम मोदी ने ईरानी राष्ट्रपति से की बात, तनाव कम करने के लिए कूटनीति से हल निकाले जाने पर दिया जोर

नई दिल्ली। मध्य पूर्व में ईरान और इजराइल के बीच लगातार हालात खराब होते जा रहे हैं। अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु स्थलों पर ताजा हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्षेत्र में शांति बहाली की अपील की है। उन्होंने ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन से फोन पर बात की और मौजूदा हालात पर चिंता जताते हुए सभी पक्षों से संयम बरतने और बातचीत के माध्यम से हल निकालने का आग्रह किया।

पीएम मोदी ने की शांति की अपील

प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को एक्स पर एक पोस्ट साझा कर यह जानकारी दी कि उन्होंने राष्ट्रपति पेजेशकियन से चर्चा की है। उन्होंने लिखा कि भारत इस संवेदनशील समय में सभी पक्षों से अपेक्षा करता है कि वे कूटनीति और संवाद का रास्ता अपनाएं ताकि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को खतरे में डालने वाली किसी भी स्थिति से बचा जा सके। पीएम मोदी ने दोहराया कि भारत का हमेशा यह मानना रहा है कि हर संघर्ष का समाधान बातचीत और शांति के जरिए ही संभव है।

अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों को बनाया निशाना

रविवार को तड़के अमेरिका ने ईरान के तीन अहम परमाणु ठिकानों फोर्दो, नतांज और इस्फहान पर बमबारी की। वॉशिंगटन ने इस कार्रवाई को ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर अंकुश लगाने की दिशा में एक निवारक कदम बताया है। यह हमला ऐसे समय हुआ है जब पहले से ही ईरान और इजराइल के बीच तनातनी चरम पर है और इस हमले ने स्थिति को और विस्फोटक बना दिया है।

ईरान ने अमेरिका पर युद्ध छेड़ने का आरोप लगाया

ईरान ने इस हमले को अपनी संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा पर सीधा हमला करार दिया है। ईरान के विदेश मंत्रालय ने एक कड़ा बयान जारी करते हुए कहा कि अमेरिका ने यह हमला करके हमारे खिलाफ एक खतरनाक युद्ध की शुरुआत कर दी है। विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने कहा कि अमेरिका इस हमले के सभी परिणामों का जिम्मेदार होगा और अब वह हर अंतरराष्ट्रीय मर्यादा की सीमा लांघ चुका है।

इजराइल ने अमेरिका की कार्रवाई की सराहना की

दूसरी ओर, इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिका के राष्ट्रपति की खुलकर सराहना की है। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर कार्रवाई कर यह साबित कर दिया है कि वह दुनिया का नेतृत्व करने में सक्षम है। नेतन्याहू ने यह भी कहा कि यह कदम न सिर्फ इजराइल की सुरक्षा के लिए बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए भी आवश्यक था। गौरतलब है कि इजराइल लंबे समय से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता रहा है।

 

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