
देश में मंकीपॉक्स के दूसरे मामले की पुष्टि हुई है। इसका दूसरा केस भी केरल में ही मिला है। राज्य की हेल्थ मिनिस्टर वीना जॉर्ज ने बताया की कन्नूर जिले का व्यक्ति टेस्ट में पॉजिटिव मिला है। इसी के साथ देश में अब इस वायरस से संक्रमण के दो मामले सामने आ चुके हैं। मालूम हो कि चार दिन पहले UAE से केरल लौटा एक व्यक्ति मंकीपॉक्स टेस्ट में पॉजिटिव निकला था।
13 जुलाई को दुबई से लौटा था व्यक्ति
स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने कहा, “संक्रमित पाया गया 31 वर्षीय व्यक्ति कन्नूर का है और उसका इलाज परियारम मेडिकल कॉलेज में हो रहा है। वह 13 जुलाई को दुबई से लौटा है। उसकी तबीयत अभी ठीक है। जो भी उसके संपर्क में थे, उनकी निगरानी शुरू कर दी गई है।”
भारत में मिले मरीजों का दूसरे देश से कनेक्शन
- दुनिया के 27 देशों में मंकीपॉक्स के करीब 800 मामले सामने आ चुके हैं।
- केरल में आए दोनों मामलों का कनेक्शन विदेशों से जुड़ा हुआ है।
- केरल में मिला पहला मरीज दूसरे देश (यूएई) से भारत आया था। तेज बुखार और शरीर में तेज दर्द की शिकायत थी।
- केरल में मिला दूसरा मरीज भी दूसरे देश (दुबई) से भारत आया था। मरीज दो महीने पहले ही भारत लौट गया था, लेकिन मंकीपॉक्स के लक्षण उसमें अब देखने को मिले हैं।
ये भी पढ़ें- Monkeypox : केरल में मिला मंकीपॉक्स का पहला मरीज, विदेश से लौटा था शख्स
डरने की जरूरत नहीं…
वैसे जानकार मानते हैं कि मंकीपॉक्स से ज्यादा डरने की जरूरत नहीं है। ये कोरोना वायरस की तरह नहीं फैलता है। मंकीपॉक्स के लक्षण की बात करें तो संक्रमित मरीज को बुखार, तेज सिर दर्द, सूजन और थकान की शिकायत रहती है।
मंकीपॉक्स को लेकर गाइडलाइन जारी
मंकीपॉक्स को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को चिट्ठी लिखकर मंकीपॉक्स के खिलाफ सतर्कता बरतने और स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन का पालन करने की सलाह दी है। सरकार ने राज्यों को पॉइंट ऑफ एंट्री यानी यात्रियों के आने की जगहों पर चौकसी बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। यहां निगरानी रखने वाली टीम से लेकर डॉक्टर्स, सभी तैनात रहेंगे। इसके अलावा, जिन भी लोगों में लक्षण पाए जाएंगे, उनके संपर्क में आए लोगों की भी जांच की जाएगी।
क्या है मंकीपॉक्स?
मंकीपॉक्स एक दुर्लभ और गंभीर वायरल बीमारी है। यह बीमारी एक ऐसे वायरस की वजह से होती है, जो स्मॉल पॉक्स यानी चेचक के वायरस के परिवार का ही सदस्य है।
अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) के मुताबिक, पहली बार ये बीमारी 1958 में सामने आई थी। तब रिसर्च के लिए रखे गए बंदरों में ये संक्रमण मिला था। इन बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के लक्षण दिखे थे। इसलिए इसका नाम मंकीपॉक्स रखा गया है।
ये भी पढ़ें- Monkeypox Alert : भारत में बढ़ा मंकीपॉक्स का खतरा, स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों के लिए जारी की Guidelines
कैसे फैलती है बीमारी?
- मंकीपॉक्स किसी संक्रमित जानवर के खून, उसके शरीर का पसीना या कोई और तरल पदार्थ या उसके घावों के सीधे संपर्क में आने से फैलता है।
- इंसान से इंसान में वायरस के फैलने के मामले अब तक बेहद कम सामने आए हैं। हालांकि, संक्रमित इंसान को छूने या उसके संपर्क में आने से संक्रमण फैल सकता है। इतना ही नहीं, प्लेसेंटा के जरिए मां से भ्रूण यानी जन्मजात मंकीपॉक्स भी हो सकता है।
- यह वायरस मरीज के घाव से निकलकर आंख, नाक और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। मरीज 7 से 21 दिन तक मंकी पॉक्स से जूझ सकता है।
- अफ्रीका में गिलहरियों और चूहों के भी मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के सबूत मिले हैं। अधपका मांस या संक्रमित जानवर के दूसरे पशु उत्पादों के सेवन से भी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
ये भी पढ़ें: Monkeypox Virus: खतरनाक होता जा रहा है मंकीपॉक्स, 27 देशों के 780 लोग संक्रमित; WHO ने बताए रोकने के उपाय
क्या हैं इसके लक्षण?
-
- मंकी पॉक्स के शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे होते हैं। इनमें बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमर दर्द, कंपकंपी छूटना, थकान और सूजी हुई लिम्फ नोड्स शामिल हैं।
- मंकीपॉक्स वायरस का इन्क्यूबेशन पीरियड 5 से 21 दिन तक का हो सकता है। इन्क्यूबेशन पीरियड का मतलब ये होता है कि संक्रमित होने के बाद लक्षण दिखने में कितने दिन लगे।
- मंकीपॉक्स शुरुआत में चिकनपॉक्स, खसरा या चेचक जैसा दिखता है।
- बुखार होने के एक से तीन दिन बाद त्वचा पर इसका असर दिखना शुरू होता है। शरीर पर दाने निकल आते हैं। ये दाने घाव जैसे दिखते हैं और खुद सूखकर गिर जाते हैं।