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फ्लाइंग रानी एक्सप्रेस से छिना डबल-डेकर ट्रेन का टैग, अब LHB रैक के साथ चलेगी ट्रेन, 44 साल बाद हुआ बदलाव

मुंबई/सूरत। देश की सबसे पहली डबल डेकर ट्रेन होने का तमगा हासिल करने वाली फ्लाइंग रानी एक्सप्रेस 44 साल बाद सिंगल डेकर बन गई है। आज से मुंबई सेंट्रल से सूरत के बीच चलने वाली यह ट्रेन डबल डेकर कोचेज के बजाय एचएचबी कोचेज के साथ चलने लगी है। इस नए रैक के साथ ट्रेन को आज मुंबई से रेल राज्य मंत्री अर्चना जरदोश ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस ट्रेन की शुरूआत तो 1906 में हुई थी, लेकिन इसके बाद इस ट्रेन में पहली बार 18 दिसम्बर 1979 को इस ट्रेन में नॉन एसी डबल डेकर कोच लगाए गए थे। यह फैसला उस समय इस रूट पर यात्रियों की लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए लिया गया था। इसी कारण लंबे अरसे तक इस रेलगाड़ी का चर्चा देश भर में रहा।

 

ऐसा दिखता था इस ट्रेन का पुराना डबल-डेकर कोच

आज से लग गया डबल-डेकर पर ब्रेक

रविवार को मुंबई सेंट्रल स्टेशन से जब चटख लाल रंग के चमचमाते एलएचबी कोच के साथ ये ट्रेन रवाना हुई तो इसके साथ एक दौर का अंत हो गया। यह ट्रेन अब 21 कोच के साथ सफर करेगी, जिसमें जिनमें एसी चेयर कार, सेकेंड क्‍लास सिटिंग कोच और जनरल कोच होंगे। रेलवे का दावा है कि इस नए रैक में ज्यादा मुसाफिरों की क्षमता के साथ ज्यादा सुविधाएं मिल सकेंगीं। रेल प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक डबल-डेकर रैक में पहले 14 डिब्बे होते थे। इसके साथ ही अब डबल-डेकर डिब्बों की रिपेयरिंग और मेंटनेंस में भी समस्याएं आने लगी थीं।  इसके बाद रेलवे ने इन्हें रिप्लेस करने का फैसला ले लिया। हालांकि शुरूआत में इस ट्रेन में जब डबल-डेकर कोच लगाए लगे तो वे लाल रंग के थे, लेकिन बाद में उनका रंग नीला कर दिया गया था।

 

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