स्वास्थ्य

सावधान: आप भी हो सकते हैं ल्यूकेमिया का शिकार, इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज

नई दिल्ली। शरीर में खून का पर्याप्त मात्रा में होना बहुत जरूरी है। इसकी कमी की वजह से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। ल्यूकेमिया भी खून से जुड़ी ही एक गंभीर बीमारी है, जिसे ब्लड कैंसर भी कहा जाता है। इस कैंसर के होने के बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं है कि यह कैसे होता है। इस बीमारी में शरीर में व्हाइट ब्लड सेल्स (सफेद रक्त कोशिकाओं) की संख्या असामान्य रूप से बढ़ जाती हैं। ल्यूकेमिया बोन मैरो यानि अस्थिमज्जा में शुरू होता है। अगर समय पर इसका इलाज न किया गया तो यह जानलेवा भी साबित हो सकती है। इसलिए सही समय पर ल्यूकेमिया के लक्षणों की पहचान कर इसका इलाज किया जाना जरूरी है।

दो तरह की होती है ल्यूकेमिया

ल्यूकेमिया बीमारी दो तरह की होती है- तीव्र ल्यूकेमिया और दीर्ध ल्यूकेमिया, तीव्र ल्यूकेमिया का छोटे बच्चों पर अधिक प्रभाव होता है। वहीं, दीर्ध ल्यूकेमिया प्रौढ़ लोगों पर अधिक प्रभाव छोड़ती है।
बोन मैरो बायोप्सी के जरिए ल्यूकेमिया का पता किया जाता है। कीमोथेरेपी और विकिरण पद्धित से इसका इलाज किया जाता है। वहीं बोन मैरो ट्रांसप्लांट भी किया जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 5 साल में 57 % लोगों को कैंसर के सबसे घातक प्रकार ल्यूकेमिया से बचाया गया है।

इन लक्षणों का रखें ध्यान

त्वचा का पीला पड़ना – ल्यूकेमिया की बीमारी होने पर त्वचा का रंग पीला पड़ने लगता है। त्वचा पीली होना जॉन्डिस का भी एक मुख्य लक्षण है। लेकिन अगर ज्यादा दिनों तक त्वचा पीली दिखाई दे रही हो तो यह ल्यूकेमिया की शुरुआत भी हो सकती है। क्योंकि ल्यूकेमिया कैंसर होने पर लाल रक्त कोशिकाओं की वृद्धि रुक जाती है। यह इसका प्रमुख लक्षण है।

खून का बहना

इस बीमारी के कारण प्लेटलेट्स का उत्पादन प्रभावित होता है। जिससे खून के थक्के बनने लगते हैं। वहीं शरीर में कहीं भी चोट लगने पर अगर घाव जल्दी ना भरे तो ल्यूकेमिया की जांच जरूर करवा लेनी चाहिए। महिलाओं में यदि ल्यूकेमिया होता है, रेड ब्लड सेल्स की संख्या में कमी आने की वजह से पीरियड्स के दिनों में ब्लीडिंग ज्यादा होने लगती है। हालांकि, एसा किसी और वजह से भी हो सकता है। लेकिन डॉक्टर से एक बार कंसल्ट कर लेना चाहिए।

बार-बार संक्रमण होना

ल्यूकेमिया से शरीर का तापमान भी असामान्य हो जाता है, जिससे बुखार और संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है। ल्यूकेमिया होने पर सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या बढ़ने लगती है। दरअसल, सफेद रक्त कोशिकाएं शरीर को कई बीमारियों से बचाने का काम करती हैं। लेकिन जब वो बढ़ जाती हैं या ठीक से काम नहीं कर पाती, तो शरीर आसानी से संक्रमण का शिकार हो जाता है। इस बीमारी के होने से शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगता है। जिसकी वजह से ठंड लगना, बुखार और खांसी जैसी चीजें हो सकती हैं।

हड्डी और जोड़ों में दर्द

ल्यूकेमिया की बीमारी में हड्डियों में तेज दर्द, जोड़ों में दर्द और सूजन की समस्या देखने को मिल सकती है। इस दर्द का मुख्य कारण White Blood Cells का असामान्य होना है। ये दर्द पैर और बांह में अधिक होता है। लंबे समय तक सिर में दर्द रहना भी ल्यूकेमिया का लक्षण हो सकता है।

स्किन पर छोटे डॅाट्स होना

इन डॅाट्स petechiae के नाम से जाने जाते हैं, जो लाल रंग के होते हैं। ल्यूकेमिया होने से प्लेटलेट्स की कमी से शरीर में petechiae होने शुरू हो जाते हैं।

थकान महसूस करना

ल्यूकेमिया से पीड़ित व्यक्ति जल्दी थक जाता है। दिन ब दिन आपकी शारीरिक ऊर्जा में कमी आने लगती है और बिना काम किए ही थका हुआ महसूस करने लगते हैं। अत्यधिक थकान महसूस करना गंभीर परेशानी हो सकती है, इसे नजरअंदाज ना करें। वहीं ल्यूकेमिया से ब्लड सर्कुलेशन सहीं नहीं होता, जिसकी वजह से शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है और फिर सांस लेने में तकलीफ शुरू हो जाती है।

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