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SC 15 मार्च को करेगा चुनाव आयुक्त नियुक्ति मामले पर सुनवाई, याचिका में अपॉइंटमेंट रोकने की मांग की गई

नई दिल्ली। नए कानून के तहत चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 15 मार्च को सुनवाई करेगा। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की इस याचिका में सरकार को नए अधिनियम के अनुसार मुख्य चुनाव आयुक्त और EC को नियुक्त करने से सरकार को रोकने की मांग की गई है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले के अनुसार चुनाव आयोग के सदस्य की नियुक्ति के निर्देश देने की भी मांग की गई। वहीं निर्वाचन आयोग में रिक्त पड़े चुनाव आयुक्त के दो पदों को भरने के लिए इसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बैठक होने वाली है।

याचिका में क्या है मांग?

गौरतलब है कि कांग्रेस नेता जया ठाकुर की तरफ से यह याचिका अरुण गोयल के चुनाव आयुक्त पद से अचानक इस्तीफा देने के बाद डाली गई है। याचिका में उन्होंने सीईसी अधिनियम, 2023 की धारा 7 और 8 के तहत मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर रोक लगाने की मांग की है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है। जिसमें CEC-EC की नियुक्ति के लिए सीजेआई, प्रधानमंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता की एक समिति के गठन का निर्देश दिया गया था।

तीन सदस्यीय चुनाव आयोग में दो पद खाली

इस वक्त तीन सदस्यीय चुनाव आयोग में सिर्फ CEC राजीव कुमार ही हैं। एक चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे फरवरी में रिटायर हो गए थे। दूसरे अरुण गोयल ने 8 मार्च की सुबह अचानक इस्तीफा दे दिया, जिसे9 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वीकार कर लिया था।

CEC और EC की नियुक्ति का कानून 29 दिसंबर 2023 को ही बदला है। इसके मुताबिक, विधि​ मंत्री और दो केंद्रीय सचिवों की सर्च कमेटी 5 नाम शॉर्ट लिस्ट कर चयन समिति को देगी। प्रधानमंत्री, एक केंद्रीय मंत्री और विपक्ष के नेता या सबसे बड़े विरोधी दल के नेता की तीन सदस्यीय समिति एक नाम तय करेगी। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद नियुक्ति होगी।

अभी तक कैसे होती थी चुनाव आयुक्त की नियुक्ति

चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल की सिफारिश के बाद राष्ट्रपति की ओर से की जाती है। चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं। चुनाव आयुक्त का एक तय कार्यकाल होता है, जिसमें 6 साल या फिर उनकी उम्र (जो भी ज्यादा हो) को देखते हुए रिटायरमेंट दिया जाता है। 1991 के चुनाव आयोग के कानून के मुताबिक, मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 साल या 65 साल की उम्र तक रहेगा।

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