नई दिल्ली। सत्ता बदलने के बाद राजद्रोह जैसे मामले दर्ज करने को सुप्रीम कोर्ट ने परेशान करने वाला चलन बताया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ पुलिस को निलंबित आईपीएस अधिकारी गुरजिंदर पाल सिंह को गिरफ्तार करने से भी रोक दिया। सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामलों में छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से राजद्रोह सहित दो आपराधिक मामले दर्ज हैं।
चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने छत्तीसगढ़ पुलिस को निर्देश दिया कि वे अपने ही निलंबित आईपीएस अधिकारी गुरजिंदर पाल सिंह को गिरफ्तार न करे। हालांकि, शीर्ष न्यायालय ने सिंह को भी यह निर्देश दिया है कि वह जांच में सहयोग करें। कोर्ट ने कहा, देश में अत्यंत निराशाजनक चलन है, जब कोई राजनीतिक पार्टी सत्ता में होती है तो पुलिस अधिकारी उसके पक्ष में काम करते हैं। जब दूसरी पार्टी सत्ता में आती है तो सरकार पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई करती है। इसे रोकने की जरूरत है।
गुरजिंदर पाल सिंह के खिलाफ कई केस दर्ज
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार आने के बाद गुरजिंदर पाल सिंह पर कई केस दर्ज किए गए हैं। आर्थिक अपराध शाखा और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने छापे मारते हुए 10 करोड़ रुपए से अधिक की आय से अधिक संपत्ति का पता लगाने का दावा किया है। उनके ठिकानों में मारे गए छापे के दौरान कंप्यूटर से मिली सामग्री के आधार पर उन पर सरकार के खिलाफ साज़िश करने का भी आरोप लगा है। इस सिलसिले में उन पर आईपीसी की धारा 124A के तहत राजद्रोह का भी मुकदमा दर्ज किया गया है।