
नई दिल्ली। देश को जल्द ही नया मुख्य न्यायाधीश (CJI) मिलने वाला है। सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा चीफ जस्टिस (CJI) संजीव खन्ना ने अपने उत्तराधिकारी के तौर पर जस्टिस बीआर गवई के नाम की सिफारिश कानून मंत्रालय को भेज दी है। इसके साथ ही जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई के भारत के 52वें चीफ जस्टिस बनना तय हो गया है।
अगर राष्ट्रपति भवन से इस नाम को मंजूरी मिलती है, तो जस्टिस गवई 14 मई को शपथ ले सकते हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उन्हें पद की शपथ दिलाएंगी।
केवल 6 महीने तक रहेंगे सीजेआई
जस्टिस गवई का कार्यकाल केवल 6 महीने का होगा, क्योंकि वे नवंबर 2025 में रिटायर्ड हो रहे हैं। जस्टिस गवई राज्य में हाईकोर्ट के पूर्व महाधिवक्ता और जस्टिस बैरिस्टर राजा भोंसले के साथ काम किया। जस्टिस गवई 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में प्रमोट हुए थे। उनके रिटायरमेंट की तारीख 23 नवंबर 2025 है।
अनुसूचित जाति समुदाय से आने वाले दूसरे CJI
जस्टिस गवई सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त होने वाले केवल दूसरे अनुसूचित जाति (SC) जज हैं। उनसे पहले जस्टिस के.जी. बालाकृष्णन सुप्रीम कोर्ट में इस समुदाय का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वे 2010 में सेवानिवृत्त हुए थे।
सीजेआई बनने की परंपरा और प्रक्रिया
भारतीय न्यायपालिका की परंपरा के अनुसार, मौजूदा CJI ही अपने उत्तराधिकारी का नाम केंद्र सरकार को प्रस्तावित करते हैं। इस बार भी यही प्रक्रिया अपनाई गई है। CJI संजीव खन्ना ने जस्टिस गवई का नाम कानून मंत्रालय को भेजा है। मौजूदा मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई को खत्म हो रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में उल्लेखनीय योगदान
- जस्टिस गवई 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त हुए थे। उन्होंने कई महत्वपूर्ण संविधान पीठों में हिस्सा लिया है(
- अनुच्छेद 370 को खत्म करने के फैसले को सर्वसम्मति से बरकरार रखने वाली पीठ के सदस्य रहे।
- चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द करने वाली पांच जजों की पीठ का हिस्सा रहे।
- नोटबंदी को 4:1 बहुमत से वैध ठहराने वाली पीठ में शामिल थे।
- SC उप-वर्गीकरण के संवैधानिक अधिकार को मान्यता देने वाली सात जजों की पीठ का हिस्सा रहे।
- उन्होंने ‘कारण बताओ नोटिस’ के बिना संपत्ति ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने वाले फैसले में भी नेतृत्व किया।
- वह वन, वन्यजीव और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े मामलों की सुनवाई कर रही पीठ के अध्यक्ष भी हैं।
जस्टिस गवई का परिचय
जस्टिस गवई का 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में जन्म हुआ था। उन्होंने 1985 में कानूनी करियर शुरू किया। 1987 में बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र प्रैक्टिस शुरू की। इससे पहले उन्होंने पूर्व एडवोकेट जनरल और हाईकोर्ट जज स्वर्गीय राजा एस भोंसले के साथ काम किया। 1987 से 1990 तक बॉम्बे हाईकोर्ट में वकालत की। अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में सहायक सरकारी वकील और एडीशनल पब्लिक प्रोसीक्यूटर के रूप में नियुक्त हुए।