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प्रीति जैन। परीक्षा की तैयारी के दौरान स्टूडेंट्स घंटों एक ही जगह बैठे पढ़ाई करते रहते हैं जिससे शरीर का मूवमेंट रूक जाता है। ऐसा होने पर पेट में एसिड रिफ्लक्स होने लगता हैं और इससे एसिडिटी महसूस होने लगती है। एक ही जगह बैठे रहने पर पानी का इंटेक भी कम हो जाता है क्योंकि प्यास लगने पर भी उसे अवॉइड किया जाता है। परीक्षा के दौरान न्यूट्रिशनिस्ट व डायटीशियंस के पास ऐसे मामले आ रहे हैं, जिसमें पैरेंट्स बताते हैं कि बच्चे खाना नहीं खा रहे या उन्हें खाने से वॉमिटिंग जैसा महसूस होने लगता है। डॉक्टर्स के मुताबिक खाने की इच्छा होने पर भी पढ़ाई के चलते खाने को अवॉइड करने से एसिडिटी बढ़ने लगती है और फिर वॉमिटिंग सेंसेशन होने लगता है। दरअसल, ऐसा एग्जाम एंग्जाइटी की वजह से होता है।
मेरे पास कई मामले आते हैं, जिसमें बच्चों को डिहाइड्रेशन होता है क्योंकि वे तब पानी पीते हैं,जब उन्हें बहुत ज्यादा प्यास लगी हो। ऐसा करने से उनके शरीर में पहले ही पानी की कमी हो चुकी होती है जिससे ब्लड में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। बच्चों को परीक्षा के दौरान हैवी खाना न दें, यदि वे नहीं खाना चाहते तो उन्हें हर दो-तीन घंटे के अंतराल से उनकी पसंद की हेल्दी चीजें खाने को दें। शाम के समय सूप, दलिया, खिचड़ी, ओट्स, पुलाव जैसी चीजें दे सकते हैं। बच्चे यदि बहुत शारीरिक काम नहीं कर रहे तो एक सेब भी उनके लिए कुछ घंटे तक काफी है। पनीर टिक्के को ऊपर से नींबू के रस के साथ दे सकते हैं। पढ़ाई के बीच में कॉफी पी जा सकती है। स्ट्रेस हार्मोन रिलीज होने वजह से इटिंग पैटर्न बदल जाता है और उसी के रिस्पॉन्स में कोई कम या कोई ज्यादा खाने लगता है। -डॉ.अलका दुबे, डायटीशियन एंड न्यूट्रिशनिस्ट
एग्जाम एंग्जाइटी की स्थिति में पैरेंट्स को चाहिए कि वे बच्चों को पढ़ाई के बीच में से उठकर थोड़ा चलने-फिरने या रूटीन काम करने को कहें ताकि भूख लगे और एसिडिटी की समस्या न हो। बच्चों को सुबह 10 बजे के आसपास फ्रूट्स खाने को दें तो उन्हें भूख लगने लगती है क्योंकि फ्रूट्स एसिड सिक्रेशन को न्यूट्रीलाइज कर देते हैं, जिससे बॉडी हल्का महसूस करती है। पेट के अंदर एसिडिटी बढ़ने से भूख कम होने लगती है। दूसरा, यदि मूवमेंट बंद रहेगा तो बॉडी की कैलोरी बर्न नहीं होगी और जब कैलोरी बर्न नहीं होगी तो भूख नहीं लगेगी। पेट भरा हुआ महसूस होगा तो यह समस्या होगी ही। बच्चों से इस समय जबरजस्ती खाने के लिए फोर्स न करें क्योंकि इस समय उनका चलना-फिरना कम हो जाता है। उन्हें मिल्क शेक, फ्रूट्स, स्मूदी, जूस देना चाहिए। इसके अलावा एक अहम सुझाव है कि बच्चों को पढ़ाई के समय ग्लूकोज की जरूरत होती है तो उन्हें रसगुल्ला दें, जिसकी चाशनी थोड़ी निचोड़ दें, इससे उन्हें प्रोटीन व एनर्जी मिलेगी। दिन भर में दो रसगुल्ले पर्याप्त हैं। -निधि शुक्ला पांडे, न्यूट्रिशन कंसल्टेंट