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कोलन कैंसर से बचा सकता है दक्षिण भारतीय ‘सांभर’

राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम के सलाहकार डॉ. नरेश पुरोहित ने अपनी रिपोर्ट में किया है दावा

जालंधर। राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम के सलाहकार डॉ. नरेश पुरोहित ने कहा है कि कोलन कैंसर वैश्विक स्तर पर कैंसर से संबंधित मौतों का दूसरा सबसे प्रचलित कारण है और तीसरा सबसे आम वैश्विक कैंसर है लेकिन दक्षिण भारतीय करी में सबसे लोकप्रिय सांभर खाने से कोलन कैंसर से बचा जा सकता है। राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम के सलाहकार डॉ. नरेश पुरोहित ने कोलोरेक्टल कैंसर अवेयरनेस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि सांभर में तीखे मसाले नहीं होते, इससे आंतों की परत प्रभावित नहीं होती है और यह कार्सिनोजेन के विकास को रोकता है। प्रसिद्ध महामारी विशेषज्ञ डॉ. पुरोहित ने बताया कि कोलन कैंसर वैश्विक स्तर पर कैंसर से संबंधित मौतों का दूसरा सबसे प्रचलित कारण है।

सांभर पाउडर में होते हैं एंटी-ट्यूमरजेनिक गुण

सत्तर प्रतिशत कोलन कैंसर उत्तर भारत में होता है। प्रसिद्ध ऑन्कोलॉजी विशेषज्ञ ने बताया कि सांभर पाउडर में मसालों का मिश्रण इसकी प्रभावशीलता बढ़ाता है। सांभर पाउडर में एंटी-ट्यूमरजेनिक गुण होते हैं, यानी यह ट्यूमर के गठन को रोकता है। सांभर पाउडर में धनिया के बीज, मेथी के बीज, हल्दी के प्रकंद, काली मिर्च, करी पत्ते और जीरा होते हैं। अगर सही तरीके से बनाया जाए तो सांभर एक बहुत ही पौष्टिक व्यंजन है। उन्होंने यूरोपियन जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन में अपनी हालिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इस्तेमाल किए गए मसालों के गुण मल त्याग में मदद करते हैं, जिससे कोलन कैंसर का खतरा कम हो जाता है। सांभर कोई मसालेदार व्यंजन नहीं है और इसलिए यह आंत की परत को प्रभावित नहीं करता है और वास्तव में डाइमिथाइलहाइड्रेजनि के विकास को रोकता है, जो कोलन कैंसर का एक कारक है। डॉ पुरोहित ने कहा, सांभर को पूरा लेने के बजाय, अगर हम इसे घटकों में विभाजित करते हैं, तो हम इसमें शामिल सभी सामग्रियों के कई लाभ देखते हैं। सभी घटक अच्छे पाचन को बढ़ावा देते हैं जो कोलन कैंसर को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है।

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