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Shri Krishna Janmabhoomi Case: श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद पर आज HC में सुनवाई, विवादित स्थल हिंदुओं को सौंपे जाने की मांग

उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। पहले ये सुनवाई  16 दिसंबर  2024 को होनी थी। लेकिन सुनवाई की तारीख को टाल कर 6 जनवरी कर दिया गया था।

पहले इसलिए टली थी सुनवाई

दरअसल 16 दिसंबर  2024 को कोर्ट में मुस्लिम व अन्य पक्षकारों के मौजूद न होने की वजह से ये सुनवाई टाल दी गई थी। अब हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई 6 जनवरी यानी आज होगी।

सुनवाई में आज क्या होगा ?

आज सुनवाई में श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद से जुड़े मामले में मुकदमे का ट्रायल शुरू किए जाने के बिंदु तय किए जाने के मुद्दे पर सुनवाई होगी।  कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक, वीडियोग्राफी से सर्वे की मांग की अर्जी पर आदेश पहले ही सुरक्षित कर लिया था। याची आशुतोष पांडेय की अर्जी में इलेक्ट्रॉनिक तरीके से फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के सर्वे को जरूरी बताया गया है।

विवादित स्थल हिंदुओं को सौंपे जाने की मांग

अर्जी में कहा गया था कि विवादित स्थल का रिलिजियस कैरेक्टर निर्धारित करने के लिए सर्वे बेहद जरूरी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में मथुरा विवाद से जुड़ी 18 याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। अर्जियों में विवादित स्थल हिंदुओं को सौंपे जाने की मांग की गई थी। अदालत अब इस मामले में आज सुनवाई करेगी।

क्या है ये पूरा विवाद?

यह पूरा विवाद 13.37 एकड़ जमीन के मालिकाना हक को लेकर है। 11 एकड़ जमीन पर श्रीकृष्ण मंदिर है और 2.37 एकड़ हिस्सा शाही ईदगाह मस्जिद के पास है। हिन्दू पक्ष इस 2.37 एकड़ जमीन पर जन्मभूमि होने का दावा करता रहा है। जबकि 1670 में औरंगजेब के शासन में यहां शाही ईदगाह मस्जिद बनाई गई थी। 1944 में ये पूरी जमीन उद्योगपति जुगल किशोर बिड़ला ने खरीद ली। 1951 में उन्होंने श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट बनाया, जिसे ये जमीन दे दी गई। ट्रस्ट के पैसे से 1958 में नए सिरे से मंदिर बनकर तैयार हुआ। फिर एक नई संस्था बनी, जिसका नाम रखा गया श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान। इस संस्था ने साल-1968 में मुस्लिम पक्ष से समझौता किया कि जमीन पर मंदिर-मस्जिद दोनों रहेंगे। हालांकि, इस समझौते का न तो कभी कानूनी वजूद रहा और न ही श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट ने इस समझौते को कभी माना। हिन्दू पक्ष अब इस मस्जिद को हटाने की मांग करता है तो वहीं मुस्लिम पक्ष प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट की दलील देता है।

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