भोपाल। मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार एक बार फिर कर्ज लेने की तैयारी में है। वित्त मंत्रालय ने 2 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है। सरकार 1 सितंबर को बाजार से 5 साल के लिए कर्ज लेगी। सरकार इन पैसों के जरिए प्रदेश में चल रहे विकास कार्यों को रफ्तार देगी।
सूत्रों का कहना है कि सरकार आर्थिक स्थिति को पटरी पर लाने के प्रयास कर रही है। इसके लिए मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस ने सभी विभागों से रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने विभागों को पत्र लिखकर विभिन्न मदों में विकास की वसूली और डिफॉल्टर राशि की एक रिपोर्ट तैयार करने की बात कही थी। जबकि बड़े डिफॉल्टर को बकाया चुकाने के लिए रियायत देने पर भी विचार किया जा रहा है।
डिफॉल्टर को राहत देकर डूबे पैसे को वापस पाना चाहती है सरकार
दरअसल, डिफॉल्टर को राशि जमा करने में रियायत देकर सरकार डूबे हुए पैसे को वापस पाना चाहती है। इसके अलावा सरकार की तैयारी है कि आगामी उपचुनाव से पहले कई सरकारी योजनाओं को पूरा कर लिया जाए। सरकार स्थानीय चुनाव से पहले हुए काम को रफ्तार देने के लिए कर्ज का सहारा लेगी।
डिफॉल्टर वसूली के संबंध में कई विभागों ने रिपोर्ट नहीं दी
वित्त विभाग के सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बड़े डिफॉल्टर से वसूली करने के लिए ढाई माह पहले निर्देश दिए थे। हालांकि विभागों की लापरवाही से सही जानकारी अब तक सामने नहीं आई है। कई विभागों ने इस संबंध में रिपोर्ट भी तैयार नहीं की। जिसके बाद मुख्य सचिव ने विभागों को रिमाइंडर भेजकर योजना तैयार करने के लिए कहा।
प्रदेश के हर नागरिक पर 30 हजार का कर्ज
शिवराज सरकार ने अब तक कुल 2.53 लाख करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। इसमें एक लाख 54 हजार करोड़ का कर्ज खुले बाजार का है। वहीं, डेढ़ साल में सरकार 49,800 करोड़ रुपए का कर्ज लिया और 16,500 करोड़ रुपए का ब्याज चुकाया है। प्रदेश के हर नागरिक पर औसत 30 हजार का कर्ज है।