
भोपाल लिटरेचर फेस्टिवल के आखिरी दिन कई सेशन में श्रोताओं की भीड़भाड़ रही, क्योंकि भारत-पाक जैसे मुद्दों के अलावा छत्रपति शिवाजी महाराज की सैन्य नीति, सैन्य कानून व आर्थिक नीति के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा होनी थी। इस मौके पर संविधान, फिल्म अभिनेता इरफान खान, फिल्म मेकर सतीश कौशिक सहित 20 विषयों पर सेशन हुए। वहीं, सुबह कॉलेज विद्यार्थियों के लिए हैरिटेज वॉक, काव्य प्रशिक्षण इत्यादि आयोजन भी सम्पन्न हुए। शाम में स्वर कोकिला लता मंगेशकर को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए ‘रहें न रहें हम…’ पर चर्चा हुई। कलाभूमि डांस ग्रुप द्वारा ब्रह्मपुत्र वैली पर दी नृत्य प्रस्तुति का भोपालवासियों ने आनंद उठाया। वहीं तीन दिन चली प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कारों के वितरण के साथ फेस्टिवल का समापन हुआ।
शिवाजी ने लैंड मेजरमेंट, टैक्स रिफॉर्म भी किए
शिवाजी की कूटनीति व सैन्य कानून की नीति उस समय उनकी विशाल सोच को दर्शाती है। यह कहना था, लेखक वैभव पुरंदरे का। उन्होंने कहा कि डॉ. स्टुअर्ट गॉर्डन ने लिखा है कि शिवाजी ने पहली बार लैंड मेजरमेंट, रेवेन्यू जेनरेशन के टेक्निकल पॉइंट्स पर काम किया। यहां तक की उन्होंने खेती को लेकर भी कुछ नियम बनाए, जिनमें से एक है कि 10 पेड़ अगर कोई किसान लगाएगा तो उसमें से एक पेड़ की पूरी आमदनी उसकी होगी और बाकी नौ पेड़ की आमदनी पर वो टैक्स भरेगा। मुगलों के आधिकारिक इतिहासकार खफी खान, जो शिवाजी से नफरत करता था, उसने लिखा है कि शिवा राजे का सैन्य नियम था कि युद्ध के बाद दुश्मन खेमे की महिलाओं, बच्चों और कुरान को सम्मान के साथ उसके मालिक तक पहुंचाया जाए। शिवाजी ने औरंगजेब को लिखा था कि आप जो जजिया कर लगा रहे हैं उसके लिए आने वाली नस्लें आपको माफ नहीं करेंगी।
हर एक मनुष्य में अर्धनारीश्वर होना चाहिए
वक्ता गीतांजलि जे अंगमो ने कहा कि अब 21 वी सदी में लड़कों को लड़की की तरह होना चाहिए। 60 साल पहले से पुरुष बाहर के काम करते थे और महिला घर के काम करती थीं, लेकिन अभी तक पुरुष वहीं करते आ रहे हैं और महिलाएं कई तीव्र गति से आगे निकल आईं हैं। उन्होंने हर एक मनुष्य में अर्धनारीश्वर होने की बात पर जोर दिया।
दिव्यांगता की वीरगाथा और ईक्यू पर चर्चा
अंबरीन जैदी द्वारा लिखी किताब सोलजरिंग ऑन- द रिमार्कबेल रेजीलियेंस ऑफ इंडियाज डिसेबल्ड सोलजर्स पर एक सत्र का आयोजन हुआ। इस किताब के जरिए ऐसे भारतीय सैनिकों के बारे में लिखा है जो ऑन ड्यूटी देश की सेवा में शारीरिक रूप से अक्षम हो गए। इस किताब को लिखने के लिए अंबरीन ने खुद सैनिकों और उनके परिवार वालों से मिलकर उनकी कहानी जानी। इमोशनल इंटेलिजेंस फॉर एनलाइटंड लीडरशिप पर बात करते हुए डॉ. दलीप सिंह ने कहा कि रिसर्च में पाया गया है कि उम्र के साथ लोग इमोशनल भी होते जाते है। इमोशनल इंटेलिजेंस का पहला लेसन यही है कि आप अपने आसपास के लोगों से कनेक्ट करना है। बिना बोले आप अपनी बात कह सकें।