
वॉशिंगटन। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर बुधवार को प्रशांत महासागर में सुरक्षित रूप से उतर गए। वे नौ महीने से अधिक समय तक अंतरिक्ष में रहे। पृथ्वी पर लौटने के बाद नासा की मेडिकल टीम उनकी स्वास्थ्य जांच कर रही है। जीरो ग्रैविटी में लंबे समय तक रहने के कारण शरीर में कई अस्थायी बदलाव होते हैं, जिन्हें देखते हुए उन्हें स्ट्रेचर पर लिटाकर बाहर निकाला गया।
स्ट्रेचर पर क्यों लेटाए जाते हैं अंतरिक्ष यात्री
नासा के पूर्व वैज्ञानिक जॉन डेविट के अनुसार, जब अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी पर लौटते हैं, तो वे तुरंत खड़े होने या चलने में सक्षम नहीं होते। लंबे समय तक माइक्रोग्रैविटी में रहने के कारण शरीर का संतुलन बिगड़ जाता है और उन्हें चक्कर आने या उल्टी जैसा महसूस हो सकता है। यह स्थिति कुछ हद तक रोलर कोस्टर राइड या उफनते पानी में नाव चलाने जैसी होती है।
हालांकि, अधिकांश अंतरिक्ष यात्री स्ट्रेचर पर ले जाना पसंद नहीं करते, लेकिन सुरक्षा कारणों से उन्हें ऐसा करना पड़ता है।
पृथ्वी पर लौटने के बाद शरीर में क्या बदलाव होते हैं
अंतरिक्ष से लौटने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी के वातावरण के साथ सामंजस्य बिठाने में कठिनाई होती है। गुरुत्वाकर्षण में अचानक बदलाव के कारण उनके शरीर में कुछ अस्थायी बदलाव देखे जाते हैं,
- मांसपेशियों और हड्डियों की कमजोरी- स्पेस में लंबा समय बिताने से मांसपेशियों और हड्डियों की ताकत कम हो जाती है। माइक्रोग्रैविटी के कारण मसल मास और बोन डेंसिटी घट जाती है, जिससे चलने-फिरने में दिक्कत होती है।
- गुरुत्वाकर्षण के साथ पुनः सामंजस्य- लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने से शरीर को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में दोबारा एडजस्ट होने में समय लगता है। इससे खड़ा होना और चलना जैसी साधारण गतिविधियां भी मुश्किल हो सकती हैं।
- फिजियोथैरेपी- नासा द्वारा अंतरिक्ष यात्रियों को ताकत और संतुलन हासिल करने के लिए फिजियोथैरेपी, एक्सरसाइज, वेट ट्रेनिंग और कार्डियो कराया जाता है। इस प्रक्रिया में कई हफ्ते लग सकते हैं।
- भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव- अंतरिक्ष में ज्यादा समय बिताने से अंतरिक्ष यात्रियों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ सकता है। पृथ्वी पर लौटने के बाद तनाव, अकेलापन और अनिश्चितता जैसी समस्याएं हो सकती हैं, जिन पर मेडिकल टीम विशेष ध्यान देती है।
- चक्कर और मिचली आना- गुरुत्वाकर्षण में अचानक बदलाव के कारण चक्कर आना और मिचली आना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
- बेबी फीट सिंड्रोम- अंतरिक्ष में रहने से पैरों के कॉलस (मोजे के कारण कठोर त्वचा) खत्म हो जाते हैं, जिससे जमीन पर चलने में असहजता होती है।
सुनीता विलियम्स की सबसे पहले होगी मेडिकल जांच
अंतरिक्ष से लौटने के बाद नासा की मेडिकल टीम सबसे पहले सुनीता विलियम्स और उनके साथियों की विस्तृत मेडिकल जांच कर रही है। फ्लाइट सर्जन उनकी ब्लड प्रेशर, हार्ट रेट और न्यूरोलॉजिकल रिस्पॉन्सेज की निगरानी कर रहे हैं। नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार, जीरो ग्रैविटी में रहने से शरीर के कई हिस्सों पर प्रभाव पड़ता है, इसलिए हेल्थ मॉनिटरिंग जरूरी होती है।
कितने दिनों तक रहेंगे क्वारंटाइन
अंतरिक्ष से लौटने के बाद नासा अपने अंतरिक्ष यात्रियों को 14 दिनों तक क्वारंटाइन में रखता है। इसका उद्देश्य उनकी सेहत का ध्यान रखना और उन्हें पृथ्वी के वातावरण में फिर से ढालने में मदद करना है। हालांकि, नासा की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है कि सुनीता विलियम्स और उनकी टीम को कितने दिनों तक क्वारंटाइन में रहना होगा।
पहले भी एस्ट्रोनॉट्स को रखा गया था क्वारंटाइन
नासा के ऐतिहासिक अपोलो 11 मिशन के दौरान, जब नील आर्मस्ट्रॉन्ग और बज एल्ड्रिन चंद्रमा से लौटे थे, तो उन्हें 21 दिनों तक क्वारंटाइन में रखा गया था। यह प्रोटोकॉल भविष्य में भी जारी रखा गया, ताकि अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
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