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बांग्लादेश की भारत सरकार से की मांग- शेख हसीना को वापस भेजो, मुकदमा चलाना है

ढ़ाका। बांग्लादेश ने भारत से पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को वापस भेजने की मांग की है। बांग्लादेश के विदेश सलाहकार तौहीद हुसैन ने कहा- बांग्लादेश सरकार चाहती है कि शेख हसीना न्यायिक प्रक्रिया के लिए बांग्लादेश वापस आएं।

शेख हसीना की भारत से वापसी की मांग

23 दिसंबर को ही गृह मामलों के सलाहकार जहांगीर आलम ने कहा कि उनके मंत्रालय ने विदेश मंत्रालय को पत्र लिखकर अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की भारत से वापसी की मांग करने को कहा है। इसके बाद ही बांग्लादेश विदेश मंत्रालय भारत से शेख हसीना की प्रत्यर्पण की मांग कर रहा है। दरअसल, 5 अगस्त को तख्तापलट के बाद शेख हसीना ने भागकर भारत में पनाह ली थी। वे तब से यही पर हैं।

शेख हसीना पर बांग्लादेशी सरकार के आरोप

बता दें कि बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद बनी यूनुस सरकार ने हसीना पर हत्या, अपहरण से लेकर देशद्रोह के 225 से ज्यादा मामले दर्ज किए हैं। वहीं, बांग्लादेशी सरकार ने कहा कि भारत में रहते हुए हसीना की तरफ से दिए जा रहे बयान दोनों देशों के संबंध बिगाड़ रहे हैं।

शेख हसीना की वापसी की मांग क्यों कर रहा बांग्लादेश?

बात साल 2013 की है। जब भारत के नॉर्थ-ईस्ट उग्रवादी समूह के लोग बांग्लादेश में छिप रहे थे। सरकार उन्हें बांग्लादेश में पनाह लेने से रोकना चाहती थी। उली वक्त बांग्लादेश के प्रतिबंधित संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन के लोग भारत में आकर छिप रहे थे। दोनों देशों ने इस समस्या से निपटने के लिए एक प्रत्यर्पण समझौता किया था। इसके तहत दोनों देश एक-दूसरे के यहां पनाह ले रहे भगोड़ों को लौटाने की मांग कर सकते हैं। हालांकि भारत राजनीति से जुड़े मामलों में किसी भी व्यक्ति के प्रत्यर्पण से इनकार कर सकता है, लेकिन अगर उस व्यक्ति पर हत्या और किडनैपिंग जैसे संगीन मामले दर्ज हों तो उसके प्रत्यर्पण को रोका नहीं जा सकता।

क्या शेख हसीना की हो सकती है बांग्लादेश वापसी?

जब बांग्लादेश ने शेख हसीना की वापसी की मांग भारत से की है तो भारत हसीना के प्रत्यर्पण के लिए इनकार कर सकता है। भारत कह सकता है कि शेख हसीना के खिलाफ लगाए गए आरोपों का कोई ठोस आधार नहीं हैं। भारत-बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण समझौते के अनुच्छेद 8 में प्रत्यर्पण से इनकार के लिए कई आधार दिए गए हैं। ऐसे मामले जिनमें आरोप साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हों, तो प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है। भारत-बांग्लादेश प्रत्यर्पण संधि के अनुच्छेद 7 के मुताबिक, कोई देश प्रत्यर्पण की मांग को नामंजूर कर सकता है। इसके बदले वो अपने देश में उस व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा चलाने की बात कर सकता है। हालांकि इससे भारत के बांग्लादेश की नई सरकार के साथ संबंधों पर बुरा असर पड़ेगा ।

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