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नवरात्रि पर माता रानी और उनकी सवारी का संयोग, किसानों का होगा राजयोग; सोना बनकर बरसेगा अन्न

“या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता…नमस्तस्यै..नमस्तस्यै..नमस्तस्यै…नमो नम:”। मां दुर्गा के इस मंत्र का उच्चारण हर देवी मंदिर, पंडालों और घरों में सुनाई देगा। नवरात्रि का हर देवी भक्त को बेसब्री से इंतजार होता है। इस साल 15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि का महापर्व आरंभ होने जा रहा है, जो 24 अक्टूबर तक चलेगा। इन 9 दिनों में मां अम्बे के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। देवी भागवत पुराण में बताया गया है कि गणपति बप्पा के बाद महालया के दिन जब पितृगण धरती से लौटते हैं, तब मां दुर्गा नौ दिनों के लिए अपने परिवार और गणों के साथ पृथ्वी पर आती हैं। वैसे तो मां दुर्गा का स्थायी वाहन सिंह है, लेकिन जब धरती पर आती हैं तब उनकी सवारी बदल जाती है। पीपुल्स अपडेट के साथ जानिए, इस नवरात्रि पर क्या होगी माता की सवारी और इसका आपके घर-परिवार और समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा…

मां दुर्गा हाथी पर बैठकर करेंगी गृह-प्रवेश

मां दुर्गा इस बार हाथी पर सवार होकर आपके घर आएंगी। देवी पुराण के अनुसार, देवी का हाथी पर आगमन शुभ माना जाता है। हाथी वाहन धन-दौलत और सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस नवरात्रि माता रानी अपने साथ ढेर सारी खुशियां लेकर आ रहीं हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता जब भी हाथी पर सवार होकर आतीं हैं उस वर्ष देश में खूब धनवर्षा होती है। इसका सबसे ज्यादा फायदा किसान को होता है, क्योंकि यह मान्यता है कि जब भी मातारानी गजराज पर बैठक कर आती हैं, उस साल अच्छी बारिश होती है। इसका सीधा फायदा किसानों को होता है और अन्न की भरपूर पैदावार होती है।

नवरात्रि के इन दिनों में माता का आगमन विशेष शुभ

मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि यदि रविवार या सोमवार से शुरू हो रही है तो मां का वाहन हाथी होता है। जो धनवर्षा का प्रतीक है। वहीं, नवरात्रि यदि मंगलवार या शनिवार से शुरू होती है तब माता की सवारी घोड़ा होती है, जो सत्ता परिवर्तन का संकेत है।

इस बार मुर्गे पर सवार होकर करेंगी प्रस्थान

इसके अलावा गुरूवार और शुक्रवार को मां डोली में बैठकर आतीं है, जो रक्तपात, तांडव, जन और धनहानि का संकेत माना जाता है। बुधवार के दिन नवरात्रि की शुरूआत बहुत ज्यादा शुभ मानी जाती है। इस दिन माता नाव पर सवार होकर धरती पर आती हैं। गौरतलब है कि नवरात्र में माता दुर्गा का आगमन और प्रस्थान अलग-अलग वाहन से होता है। इस बार जहां माता रानी हाथी पर बैठकर आएंगी, वहीं मुर्गे पर बैठकर धरती से प्रस्थान करेंगी।

पूजन विधि

  • सुबह उठकर नहाने के बाद मंदिर साफ करें।
  • मां का गंगाजल से अभिषेक करें।
  • अक्षत, चुनरी, लाल चन्दन और लाल फूल चढ़ाएं।
  • घर के मंदिर में घी का दीपक और धूपबत्ती जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
  • पान के पत्ते पर कपूर रखकर मां की आरती उतारें।

ये रहेगी पूजन सामग्री

जौ, धूप, पान, फूल, फल, लौंग, दूर्वा, अक्षत, कपूर, सुपारी, कलश, कलावा, नारियल, लाल चुनरी, इलायची, लाल वस्त्र, पान के पत्ते, लाल चंदन, घी का दीपक और मां के श्रृंगार का सामान आदि।

(इनपुट – विवेक राठौर)

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