
आश्विन माह का आखिरी दिन बहुत ही खास है। इस दिन साल की सबसे खास पूर्णिमा (शरद पूर्णिमा) का पर्व मनाया जाएगा। बता दें कि इस साल शरद पूर्णिमा 9 अक्टूबर 2022 (रविवार) को है। शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा और कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन श्रीकृष्ण ने गोपियों संग महारास रचाया था। कुछ मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि इस रात में देवी लक्ष्मी पृथ्वी का भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों को सुख समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। शरद पूर्णिमा तिथि मनोकामना पूर्ण करने वाली मानी जाती है।
शरद पूर्णिमा पर बन रहे ये शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 9 अक्टूबर को सुबह 3 बजकर 41 मिनट से शुरू होगी। ये तिथि अगले दिन 10 अक्टूबर 2022 को सुबह 2 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगी। इस साल शरद पूर्णिमा 9 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
शुभ मुहूर्त-
- ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 4:40 से 5:29
- अभिजित मुहूर्त- सुबह 11:45 से दोपहर 12:31
- विजय मुहूर्त- दोपहर 2:05 से 2:51
- गोधूलि मुहूर्त- शाम 5:46 से 6:10
- अमृत काल- सुबह 11:42 से दोपहर 1:15
- सर्वार्थ सिद्धि योग- सुबह 6:18 से दोपहर 4:21
शरद पूर्णिमा पर बन रहे ये शुभ योग
इस साल शरद पूर्णिमा पर कई शुभ योग बनने से इस दिन का महत्व बढ़ रहा है। ध्रुव योग शाम 6 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6 बजकर 31 मिनट से शाम 4 बजकर 21 मिनट तक रहेगा।
जानें शरद पूर्णिमा पर खीर खाने की खास वजह
- शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूरा होकर अमृत की वर्षा करता है। श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार चंद्रमा को औषधि का देवता माना जाता है।
- चांद की रोशनी स्वास्थ के लिए बहुत लाभकारी मानी गई हैं, इसलिए शरद पूर्णिमा की रात खुले आसमान के नीचे चावल और दूध से बनी खीर रखी जाती हैं। जिससे चंद्रमा की किरणें खीर पर पड़ती है और इसका सेवन करने से औषधीय गुण प्राप्त होते हैं।
- शरद पूर्णिमा पर चांदी के बर्तन में खीर रखकर फिर उसका सेवन करने से रोगप्रतिरोधक क्षमता दोगुनी हो जाती हैं और समस्त रोगों का नाश होता है। चांदी के बर्तन में सेवन करने के पीछे भी वैज्ञानिक कारण है। रिसर्च के अनुसार चांदी में प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है, जिससे विषाणु दूर रहते हैं. यह खीर अमृत के समान मानी जाती है।
- मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की खीर सेवन करने से पुनर्योवन शक्ति प्राप्त होती है। शरद पूर्णिणा पर रात में 10-12 बजे के बीच चंद्रमा का प्रभाव अधिक रहता है। इस समय चंद्र दर्शन जरूर करना चाहिए। कहते हैं इस समय जिस पर चंद्रमा की किरणें पड़ती हैं उसकी नेत्र संबंधित समस्या, दमा रोग जैसी बीमारियां खत्म हो जाती है।
- कोजागरी पूर्णिमा पर खीर खाना इस बात का प्रतीक है कि अब शीत ऋतु का आगमन हो चुका है। ऐसे में गर्म पदार्थ का सेवन करने से स्वास्थ लाभ मिलेगा। मौसम में ठंडक घुलने के बाद गर्म चीजों का सेवन करने से शरीर में ऊर्जा बनी रहती है।
चंद्रमा की 16 कला
- अमृत
- मनदा (विचार)
- पूर्ण (पूर्णता अर्थात कर्मशीलता)
- शाशनी (तेज)
- ध्रुति (विद्या)
- चंद्रिका (शांति)
- ज्योत्सना (प्रकाश)
- कांति (कीर्ति)
- पुष्टि (स्वस्थता)
- तुष्टि(इच्छापूर्ति)
- पूर्णामृत (सुख)
- प्रीति (प्रेम)
- पुष्प (सौंदर्य)
- ज्योत्सना (प्रकाश)
- श्री (धन)
- अंगदा (स्थायित्व)
(नोट : यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। हम मान्यता और जानकारी की पुष्टि नहीं करते हैं।)