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बचपन पर बीमारी का साया…बीते साल मप्र में डायबिटीज के साढे तीन लाख नए मामले सामने आए, इनमें 45 हजार बच्चे

शुगर पीड़ित माताओं के बच्चों में 39% तक नजर कमजोर होने की आशंका

प्रवीण श्रीवास्तव-भोपाल। बच्चे की भूख अचानक बढ़ना, कमजोर नजर व गुस्सा बढ़ जाए, तो यह उसमें डायबिटीज के लक्षण हो सकते हैं। बच्चे ही नहीं, नवजात भी इस बीमारी की चपेट में आने लगे हैं। अंतर्राष्ट्रीय जर्नल द लेसेंट के मुताबिक, देश में 1990 में डायबिटीज की दर 10.92 प्रतिशत थी, जो बढ़कर अब 11.68 प्रतिशत हो गई है। साल 2023 में नेशनल हेल्थ मिशन द्वारा की गई स्क्रीनिंग में मप्र में डायबिटीज के 3.48 लाख केस आए थे। इसमें से 45 हजार बच्चे थे। पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ने के बवजूद प्रदेश में महज तीन पीडियाट्रिक एंडोक्रायोनोलॉजिस्ट ही हैं। इनमें से एम्स, भोपाल में और दो इंदौर, जबलपुर के मेडिकल कॉलेज में हैं।

तीन में से एक डायबिटिक बच्चा है तनावग्रस्त

गांधी मेडिकल कॉलेज की मनोचिकित्सक डॉ. रुचि सोनी बताती हैं कि डायबिटीज से बच्चों को कई दिक्कतें होती हैं…

  •  डायबिटीज से पीड़ित तीन बच्चों में एक बच्चा तनावग्रस्त है।
  • छोटी उम्र में वे चिड़चिड़े होने लगते हैं और उन्हें जल्दी गुस्सा आता है।
  • तनाव, डिप्रेशन भी इन बच्चों में बढ़ रहा है।
  • स्कूल में इंसुलिन इंजेक्शन, दवाओं के लिए शिक्षकों, कर्मचारियों के पास जाना पड़ सकता है, जिससे वे असामान्य महसूस करते हैं।

डाटबिटिक मां के बच्चे को बीमारी का खतरा ज्यादा

नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. गजेन्द्र चावला के अनुसार, कई शोध बताते हैं कि डायबिटीज से जूझने वाली मांओं के बच्चों को भविष्य में 39 फीसदी तक नजर कमजोर होने का खतरा अधिक रहता है।

  •  ऐसे बच्चों की समय-समय पर आंखों की जांच करानी जरूरी है।
  • मां में डायबिटीज से जुड़े कॉम्प्लिकेशन जितने बढ़ते हैं, बच्चों में भी आंखों की रोशनी कमजोर होने का रिस्क बढ़ता है।
  • टाइप-1 डायबिटीज से जूझने वाली माताओं के बच्चों में खतरा थोड़ा कम रहता है।

पांच गुना बढ़ी डायबिटिक बच्चों की संख्या

एम्स से मिली जानकारी के मुताबिक, साल पहले तक एम्स में महीने में डायबिटीज के 2 या 3 नए बच्चे ही आते थे, अब एम्स में हर महीने 12 से 15 नए बच्चे डायबिटीज के इलाज के लिए आ रहे हैं।

फिजिकल एक्टिविटी से बचाव

आम तौर पर, एरोबिक शारीरिक गतिविधि (जैसे कि चलना, साइकिल चलाना और सामान्य खेल) ब्लड शुगर के स्तर को कम करते हैं।

8 की उम्र में हुई डायबिटीज

सुहाना जब 8 साल की थी, तब से डायबिटीज के लक्षण नजर आने लगे थे। एक दिन सुहाना बेहोश हो गई। उसे पास के अस्पताल ले गए। डॉक्टर भी नहीं समझ पा रहे थे कि उसे क्या है, कमजोरी के कारण बेहोशी मानकर ग्लूकोस चढ़ा दिया। वह कोमा में चली गई। इंसुलिन लगने से करीब 24 घंटे के बाद उसे होश आया। अब सुहाना 14 साल की है, इंसुलिन पर है, लेकिन डायबिटीज कंट्रोल में है। – डॉक्टर आशा शर्मा (सुहाना की मां, भोपाल)

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