नई दिल्ली। भारत समुद्री सीमा पर अपनी सामरिक क्षमता को बढ़ाते हुए अपनी दूसरी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिघात को नौसेना में शामिल करने जा रहा है। यह पनडुब्बी न्यूक्लियर मिसाइलों से लैस होगी। इस पनडुब्बी को हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधि को देखते हुए नौसेना में शामिल किया जा रहा है। पनडुब्बी नौसेना में शामिल होने के लिए पूरी तरह तैयार है।
- कहां बनी विशाखापट्टनम
- क्षमता 6000 टन
- मिसाइल 750 किमी तक मार करने वाली के-15
चीन की क्षमता
- 60 सबमरीन हैं चीन के पास
- 06 न्यूक्लियर पावर्ड सबमरीन हैं। इन पर 10 हजार किमी तक मार करने वाली मिसाइलें हैं।
- भारत की पहली परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत
- यह पूरी तरह ऑपरेशनल हुई साल 2018 में
तीसरी न्यूक्लियर पनडुब्बी अगले साल शामिल होगी
- क्षमता 7000 टन
- मिसाइल के-4 जिनकी रेंज 3500 किमी है
भारत के पास पारंपरिक सबमरीन
- 06 रूसी किलो क्लास सबमरीन
- 06 फ्रेंस स्कॉर्पीन सबमरीन
- 04 जर्मन एचडीडब्ल्यू सबमरीन