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उप्र से लगी सीटें भाजपा-कांग्रेस के लिए परेशानी क्योंकि यहां भितरघात का ज्यादा खतरा

टिकट न मिलने से दोनों पार्टियों के असंतुष्ट नेता सपा-बसपा में गए और इन क्षेत्रों में तीसरा मोर्चा ताकतवर

अशोक गौतम- भोपाल। उत्तर प्रदेश की सीमा लगे प्रदेश के विधानसभा क्षेत्रों में सबसे ज्यादा भाजपा नेताओं में पार्टी के प्रति असंतोष है। इन सीटों पर पिछले चुनाव में बसपा और सपा का प्रभाव ज्यादा था। इस बार जो भी नेता बागी हुए हैं, वे इन्हीं दोनों पार्टियों में गए हैं। कांग्रेस में भी इन सीटों पर बगावती तेवर देखने को मिल रहे है। दोनों पार्टियों को यहां भितरघात की चिंता सता रही है। हालांकि कांग्रेस ने 39 और भाजपा ने 35 बड़े नेताओं को पार्टी से बाहर किया है। इस वर्ष चुनावी सरगर्मी शुरू होते ही प्रदेश की 94 विधानसभा सीटों पर उठापटक शुरू हो गई थी। बीस सीटों पर दोनों पार्टियां डैमेज कंट्रोल करने में सफल हो गईं। इसमें पार्टी ने बागी नेताओं को निगम मंडल अध्यक्ष और संगठन में तमाम पद का लालच देकर उनकी नाराजगी दूर कर दी। शेष 74 सीटों पर दोनों पार्टियां नेताओं को समझा नहीं पाईं। ये नेता या तो सपा, बसपा या फिर निर्दलीय के रूप में मैदान में उतर गए हैं।

निष्कासित बागी नेताओं पर पार्टी की अब भी नजर

कांग्रेस और भाजपा अभी भी बगावती नेताओं पर नजर रखे हुए हैं। यह देखा जा रहा है कि ये नेता पार्टी के खिलाफ काम तो नहीं कर रहे हैं। वर्तमान में जिन नेताओं को बाहर किया गया है, उनमें कई बीजेपी सरकार में मंत्री अथवा अन्य बड़े पदों पर रह चुके हैं, जबकि कुछ पूर्व विधायक भी शामिल है। यहां तक की भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के पुत्र को भी पार्टी ने 6 साल के लिए बाहर कर दिया। कांग्रेस के भी कुछ वरिष्ठ नेता बागी हो गए हैं।

कई बागी चुनाव मैदान में भी

टिकट नहीं मिलने से भाजपा से 35 पूर्व मंत्री, विधायक नेता और कांग्रेस से 39 बड़े नेता पार्टी विरोधी विचारधारा का काम करने लगे थे। इसमें अधिकांश नेता तो तीसरे मोर्चे का सहारा लेकर चुनाव मैदान में उतर गए। जिन्हें तीसरे मोर्चे में जगह नहीं मिली वो निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में उतर गए। ये नेता भले न जीतें, लेकिन जीत को लेकर मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं।

पार्टियों की ये तैयारी

भाजपा और कांग्रेस ने डैमेज कंट्रोल के लिए विधानसभा वाइज सूची तैयारी की है। किस विधानसभा से कौन- कौन नेता नाराज हैं। नाराज नेता कितने वोट प्रभावित कर सकते हैं। ये किस नेता, मंत्री तथा संघ के कार्यकर्ता अथवा प्रमुख की बात मान सकते हैं, इस पर विचार किया जा रहा है। इन्हें किस तरह से पार्टी और प्रत्याशी के पक्ष में लाया जा सकता है।

उप्र से लगी इन सीटों पर परेशानी : श्योपुर, मुरैना, लहार, अटेर, टीकमगढ़, राजनगर, मलेहरा, निवाड़ी, दमोह, गुनौर, चित्रकूट, सतना, रैगांव, सीधी, सिंगरौली, सुमावली, पोहरी, गुना, जतारा, छतरपुर, हटा, पवई, देवतालाब, महराजपुर और नागौद आदि।

ऐसे कर रहे डैमेज कंट्रोल

हमारे केन्द्रीय नेता, प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह उन नेताओं से बातचीत कर रहे हैं। प्रत्याशी स्तर पर भी मान मनौव्वल की जा रही है। -केके मिश्रा, अध्यक्ष, प्रदेश कांग्रेस मीडिया प्रभारी

भाजपा में अब कोई नेता नाराज नहीं है। 17 नवम्बर तक सभी कार्यकर्ता और नेता एक संस्था के रूप में मिलकर काम करेगा, जो नेता नाराज थे उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया है। -हितेश वाजपेयी, मध्य प्रदेश भाजपा प्रवक्ता

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