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जबलपुर के वैज्ञानिकों की तकनीक से फ्लाईऐश में उगाए जाएंगे पौधे

कोयले से निकलने वाली फ्लाईऐश (राख) पौधों के पोषण के लिए मिट्टी का सप्लीमेंट की तरह उपयोग किया जाएगा।

हर्षित चौरसिया\जबलपुर। थर्मल पॉवर प्लांट में जलाए जा रहे कोयले से निकलने वाली फ्लाईऐश (राख) पौधों के पोषण के लिए मिट्टी का सप्लीमेंट की तरह उपयोग किया जाएगा। महाराष्ट्र के गोंदिया में अडानी ग्रुप द्वारा तैयार हो रहे फ्लाईऐश रिसर्च पार्क में उष्णकटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान (टीएफआरआई) जबलपुर के वैज्ञानिकों की तकनीक से यहां पर पौधों का रोपण किया जाएगा। पहले फेस में इस रिसर्च पार्क में 10 प्रजातियों का रोपण होना है। इसके लिए टीएफआरआई के वैज्ञानिकों व पार्क को मेन्टेन करने वाली अडानी ग्रुप कंपनी के अधिकारियों की टीम तैयारी में जुटीहुई है। एफआरआई, जबलपुर के निदेशक डॉ. एसएस गिनवालटी वेस्ट से रिसोर्स जनरेट करने की दिशा में प्रोजेक्ट महत्वपूर्ण साबित होगा। इससे न सिर्फ फ्लाईऐश का सही इस्तेमाल होगा बल्कि खोदी जा रही मिट्टी में इसे मिलाकर वहां पर भी पौधों को लगाया जा सकेगा। इसमें संस्थान के वैज्ञानिक तेजी से काम कर रहे हैं।

टीएफआरआई में कारगर रहा है प्रयोग

प्रोजेक्ट से जुड़े उष्णकटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अविनाश जैन ने बताया कि टीएफआरआई में फ्लाईऐश से पौधों के रोपण को लेकर प्रयोग किया गया था, जो कि सफल रहा था। संस्थान के डायरेक्टर डॉ. गिनवाल के निर्देशन में इस तकनीक के आधार पर गोंदिया के तिरोडा में बन रहे देश के पहले μलाईऐश रिसर्च पार्क में 10 पौधों की प्रजातियां का रोपण हमारी तकनीक से किया जाएगा। तकनीकी टीम में टीएफआरआई के वैज्ञानिक डॉ. निधि मेहता का भी सहयोग लिया जाएगा।

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