
इंदौर। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश ने मध्यप्रदेश पुलिस के खिलाफ सोमवार को तल्ख टिप्पणी की। दरअसल राज्य सरकार ने इंदौर के शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय के निलंबित प्राचार्य को जमानत दिए जाने के आदेश को चुनौती देने की मंशा जाहिर की थी। राज्य सरकार के रुख पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने राज्य के वकील से कहा- ‘राज्य को कुछ और गंभीर चीजें करनी चाहिए। वह (आरोपी) एक कॉलेज प्रिंसिपल हैं। पुस्तकालय में मिली एक किताब की वजह से आप उन्हें क्यों गिरफ्तार कर रहे हैं? कहा गया है कि किताब में कुछ सांप्रदायिक संकेत हैं। इसलिए उन्हें गिरफ्तार करने की मांग की गई है? किताब 2014 में खरीदी गई थी और अब उन्हें गिरफ्तार करने की मांग की जा रही है? क्या आप गंभीर हैं?’
CJI बोले – आदेश को चुनौती दे सकते हैं
इधर, राज्य के अधिवक्ता ने दलील दी कि मामले में छात्रों ने शिकायत की है कि याचिकाकर्ता और मामले में आरोपी उन्हें पुस्तक से पढ़ा रहे हैं। जिस पर चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ‘अगर आप आदेश को चुनौती देना चाहते हैं, तो आप ऐसा कर सकते हैं। हम इससे निपटेंगे।’ चूंकि प्रिंसिपल को जमानत मिल चुकी है, इसलिए सुप्री कोर्ट ने याचिका का निराकरण कर दिया।
क्या है मामला
इंदौर के लॉ कॉलेज के एक छात्र और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेता ने निलंबित प्रिंसिपल डॉ. इनार्मुर रहमान, किताब की लेखिका डॉ. फरहत खान सहित चार आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। इसी मामले में डॉ. रहमान ने इंदौर हाईकोर्ट में जमानत की अर्जी लगाई थी। यह अर्जी खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। सुप्रीम कोर्ट ने बीती 16 दिसंबर को डॉ. इनार्मुर रहमान की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। इसके बाद उन्हें इंदौर हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है।