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मथुरा मंदिर-मस्जिद विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कहा- धार्मिक स्थलों के कई मुकदमों को साथ जोड़ने से हो सकता है दोनों पक्षों को फायदा!

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मंदिर-मस्जिद विवाद से संबंधित कई मुकदमों को एक साथ जोड़ने से दोनों पक्षों को फायदा हो सकता है। जस्टिस संजीव खन्ना और संजय कुमार की बेंच ने हाईकोर्ट के फैसले पर कहा कि यह दोनों पक्षों के हित में है। साथ ही हिंदू याचिकाकर्ताओं के 15 मुकदमों को जोड़ने का इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आदेश दिया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अगर जरूरत पड़े, तो बाद में इस मामले को उठाया जा सकता है।

आप बाद में याचिका दायर कर सकते हैं- सुप्रीम कोर्ट 

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह 1991 के पूजा स्थल अधिनियम से जुड़े एक मुद्दे पर विचार कर रही है। साथ ही सारे मुकदमों को एक साथ जोड़ने के मामले में चीफ जस्टिस ने मस्जिद समिति के वकील से कहा, ‘अगर जरूरत पड़ी, तो आप बाद में याचिका दायर कर सकते हैं।’

मुकदमों को जोड़ना दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद

पहले 12 दिसंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने देशभर की अदालतों को एक निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि धार्मिक स्थलों, विशेष रूप से मस्जिदों और दरगाहों से जुड़े नए मुकदमों पर कोई आदेश नहीं दिया जाएगा। इस पर शुक्रवार को शाही ईदगाह मस्जिद समिति के वकील ने तर्क दिया कि मुकदमे समान नहीं हैं, फिर भी हाईकोर्ट ने इन्हें जोड़ दिया। इससे समस्याएं हो सकती हैं। 

उनके इस तर्क पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुकदमों को जोड़ना दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद होगा। अलग-अलग सुनवाई के बजाय सभी मामलों पर एक साथ सुनवाई से प्रक्रिया आसान होगी।

 हाईकोर्ट ने दिया था मुकदमों को एक साथ जोड़ने का निर्देश 

दरअसल, 11 जनवरी 2024 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदू याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर 15 मुकदमों को एक साथ जोड़ने का निर्देश दिया था, ताकि न्यायिक प्रक्रिया को सरल बनाया जा सके। साथ ही इन मामलों पर एक साथ सुनवाई हो। 

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की आगे की सुनवाई के लिए याचिका को 1 अप्रैल 2025 से शुरू होने वाले सप्ताह में सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।

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