नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार किए जाने संबंधी उसके पिछले साल के निर्णय की समीक्षा के लिए दायर याचिकाओं पर खुली अदालत में सुनवाई करने की अनुमति देने से मंगलवार को इनकार कर दिया। पुरुष समलैंगिक अधिकार कार्यकर्ताओं को झटका देते हुए कोर्ट ने पिछले साल कहा था कि कानूनन मान्यता प्राप्त विवाह के अलावा किसी अन्य विवाह को कोई मंजूरी नहीं है।
गौरतलब है कि सीजेआई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति हिमा कोहली, न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा निर्णय की समीक्षा का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर 10 जुलाई को अपने कक्ष में विचार करने वाले हैं। पांच जजों की संविधान पीठ ने पिछले साल समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने का अनुरोध करने वाली 21 याचिकाओं पर अलग-अलग फैसले सुनाए थे। हालांकि सभी ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया था।
अन्य देशों में यह है व्यवस्था
- दुनिया में 30 से ज्यादा देशों ने सेम सेक्स मैरिज को मान्यता दी है।
- भारत सहित मिडिल ईस्ट और अफ्रीका के इस्लामिक देश ऐसी शादियों को मान्यता नहीं देते हैं।
- साल 2001 में सेम सेक्स मैरिज को लीगलाइज करने वाला पहला देश था नीदरलैंड्स।
- अमेरिका, कोलंबिया, ब्राजील और कनाडा में ऐसे कपल को बच्चा गोद लेने की इजाजत है।
- अमेरिका में इस तरह के कपल को एक साथ टैक्स फाइलिंग की अनुमति भी दी गई है।