भोपाल। इन दिनों सौरभ शर्मा मामले को लेकर तत्कालीन मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा पर आरोप लग रहे हैं। हालांकि, इन सबके विपरीत नियमों को देखा जाए तो मध्य प्रदेश सरकार का नियम है कि कोई शासकीय कर्मी का अचानक निधन हो जाए तो उसके परिवार से किसी एक व्यक्ति को अनुकंपा नियुक्ति दी जाती है और इसी के लिए सौरभ शर्मा की मां ने एक शपथ पत्र तत्कालीन विभागीय मंत्री नरोत्तम मिश्रा को दिया था। जिसमें उसकी मां ने छत्तीसगढ़ में बड़े बेटे सचिन शर्मा की शासकीय नौकरी को छुपाया और वहीं छोटे बेटे सौरभ शर्मा को तृतीय श्रेणी में नियुक्ति के लिए अनुरोध किया था।
विभागीय मंत्री होने के नाते नरोत्तम मिश्रा ने भी वही किया जो हर मंत्री अपने कर्मचारियों के लिए करता है। लेकिन इन दिनों नरोत्तम मिश्रा के नाम को उछालकर एक बड़ी राजनीति प्रदेश में की जा रही है। सवाल यह भी है कि कहीं ये संगठन चुनाव से पहले नाम को बदनाम करने की राजनीति तो नहीं….
मंत्री होने के नाते की थी अनुशंसा
भाजपा के वरिष्ठ नेता राकेश सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार की जो नीति है कि परिवार के किसी शासकीय सदस्य की मृत्यु हो जाती है तो उस परिवार के किसी एक सदस्य को जीवन निर्वाह के लिए अनुकंपा नियुक्ति दी जाती है और उसके लिए विभागीय मंत्री उसकी अनुशंसा करता है। डॉ. नरोत्तम मिश्रा उस समय लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री थे उस नाते परिवार की ओर से जब आवेदन आया तो उन्होंने वही किया जो हर मंत्री अपने कर्मचारियों के लिए करता है। जो लोग इस मामले को गलत तरीके से व्यक्त कर रहे हैं उनको एक बार नियमों की जानकारी लेनी चाहिए। इस तरह का व्यवहार आने वाले समय में अन्य लोगों के लिए दिक्कतदय हो जाएगा। क्योंकि कई बार परिवार में असमय मृत्यु हो जाती है जो शासकीय नौकरी कर रहे हैं, ऐसे में मंत्री दस बार सोचेगा की इनकी अनुशंसा करूं या नहीं। ऐसा करना परिवार वालों के प्रति अन्याय होगा।
सौरभ शर्मा का अस्तित्व खतरे में – जीतू पटवारी
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि सौरभ शर्मा मामले में उसकी डायरी को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। डायरी और सौरभ शर्मा दोनों को अस्तित्व खतरे में है। डायरी में बीजेपी और मंत्री पूर्व मंत्रियों के नाम लिखे है। 40 से ज्यादा बीजेपी नेताओं के नाम डायरी में हैं। एक मंत्री ने नाम सामने आ गया है, कांग्रेस इस मुद्दे पर जनता के साथ हैं।