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बेटी के जन्म पर नहीं मिले बधाई गीत तो 24 साल में संकलित किए उसके स्वागत पर गीत

गर्ल चाइल्ड डे आज: कुमुद सिंह ने संकलित किए बेटी जन्म के 30 सोहर गीत

24 साल पहले जब कुमुद सिंह के घर बेटी का जन्म हुआ तो उन्हें पता चला कि बेटी के जन्म के सोहर, स्वागत या बधाई गीत मौजूद नहीं हैं लेकिन उनकी इच्छा का सम्मान रखने के लिए महिलाओं ने लल्ला की जगह लल्ली लगाकर यह कहते हुए गीत गाए कि जहां लल्ला, राम, कृष्ण आए उस जगह लल्ली, राधारानी लगा दिया जाए। जेंडर इक्वेलिटी पर काम कर रहीं कुमुद कहती हैं, मेरे मन में तभी से ललक लग गई थी कि बेटी के लिए देशभर से स्वागत गीतों का संकलन करूंगी, लेकिन मुझे बेटी के जन्म पर गाए जाने वाले सांत्वना गीत ही मिले, स्वागत गीत नहीं। मां को सांत्वना देते गीत कि अगली बार लल्ला हो जावेगो, मैया न हो उदास गाए… जाते हैं। अब कुमुद ने सालों के अथक प्रयास से 30 बेटी जन्म बधाई गीतों का संकलन कर लिया है, जिसे वे इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे के मौके पर रिलीज करेंगी।

आज पुरुष गाएंगे बेटी जन्म के बधाई गीत

बेटियों के जन्म के बधाई गीतों की प्रस्तुति उद्घोषक विमल भंडारी व सुनील गुप्ता द्वारा दी जाएगी। गांधी भवन में 11 अक्टूबर को दोपहर12 बजे दो गीत प्रस्तुत किए जाएंगे। पुरुष, बेटी के जन्म पर बधाई गीत गाएंगे यह नई पहल है। डॉ. वीणा सिन्हा बेटियों को व्यक्तित्व विकास पर टिप्स देंगी।

बेटी के जन्म पर उसके स्वागत के लिए लिखा गीत

मैं तो हंसी खिलखिलाई बिटिया मेरे घर आई अंगना में ठाड़ी सास मोरी बोलें अंगना में ठाड़ी सास रानी बोलें मुझे पोती की दे दो बधाई कि परी रानी मेरे घर आई सब मिल पोती की गाओ बधाई कि परी रानी मेरे घर आई अंगना में ठाड़ी देवरानी मोरी बोलें देवरानी मोरी बोलें, गोतिन मोरी बोलें इसे छूने तुम देना ऊंचाई के परी रानी मेरे घर आई।

यूट्यूब चैनल पर रिलीज करूंगी गीत

15 दिन पहले की बात है मैं बेटी के जन्म के अवसर पर एक परिवार में पहुंची तो महिलाएं वहां गीत गा रहीं थीं बेटा होता तो नेग लेती बेटी का क्या नेग…, तभी मैंने वहां अपने लिखे पांच गीत सुना दिए जिसमें बेटी को सशक्त रूप में प्रस्तुत किया। अब मेरे पास 30 विभिन्न भाषाओं के गीतों का संकलन हो गया है जो कि मैंने दो साल में बेटी जन्म सोहर व बधाई गीत लेखन प्रतियोगिता के माध्यम से चयनित किए हैं। इन गीतों में बेटी को लेकर अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले शब्द नाजुक, पराए घर, चिड़िया, आंगन की रौनक को नहीं लिया गया है। भेदभाव झलके ऐसा गीतों में परिलक्षित न हो इस विचार के साथ गीत लिए हैं जिन्हें गांधी भवन में 11 अक्टूबर को यूट्यूब के माध्यम से रिलीज कर रहे हैं। -कुमुद सिंह, समाजसेविका, सरोकार संस्था

(इनपुट-प्रीति जैन)

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